रात में खरीफ फसलों को चौपट कर रहा कातरा कीट, बचाव के लिए इस्तेमाल करें लाइट ट्रैप

कातरा कीट एक खेत से दूसरे खेत में बहुत तेजी से फैलता है, ऐसे में अगर किसानों को आसपास के खेतों में इसका प्रभाव दिखे तो वे तुरंत इससे बचाव के तरीके अपनाएं.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 6 Aug, 2025 | 01:56 PM

मॉनसून सीजन की शुरुआत होते ही देशभर में किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई शुरू कर दी थी. बारिश के मौसम में खरीफ फसलें जल्दी बढ़ती हैं क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता है. लेकिन कई बार बारिश में खेतों में नमी बढ़ जाने के कारण फसलों पर खतरनाक कीटों के आक्रमण का खतरा भी गहराने लगता है. ये कीट ने केवल फसलों को बर्बाद करते हैं बल्कि किसानों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. इन खतरनाक कीटों में से एक कीट कातरा कीट. कातरा कीट मुख्य रूप से खरीफ फसलों में मोठ, मूंग, बाजरा, ग्वार, तिल की फसलों में पाया जाता है. यह कीट फसल की जड़ों और तनों को खाकर उन्हें नष्ट कर देता है जिसके बाद फसल सूखने लगती है.

इन लक्षणों से करें पहचान

कातरा कीट की सबसे खास पहचान है कि ये रात में सक्रिय होते हैं और पौधों की जड़ों और तनों पर आक्रमण कर उन्हें नीचे से काट देते हैं. जिससे पौधे सूखने लगते हैं. इसे पहचानने के कुछ लक्षण जिनसे किसान आसानी से इनकी पहचान कर सकते हैं . जैसे- ये कीट पत्तियों को खाकर उनमें छेद कर देता है, जिससे पत्तियां बिल्कुल सूख जाती हैं. अगर कीट का संक्रमण बहुत ज्यादा हो जाता है तो पौधे की जड़ें और तने बिना पत्तियों के हो जाते हैं. कई बार इसके प्रभाव से पत्तियां पीली पड़कर मुरझाने लगती हैं.

बचाव के कुछ आसान उपाय

कातरा कीट एक खेत से दूसरे खेत में बहुत तेजी से फैलता है, ऐसे में अगर किसानों को आसपास के खेतों में इसका प्रभाव दिखे तो वे तुरंत इससे बचाव के तरीके अपनाएं. क्योंकि ये कीट रात के समय सक्रिय होता है इसलिए जरूरी है कि रात के समय फसल का नियमित रूप से निरीक्षण करें, विशेष रूप से उन जगहों पर जहां पत्तियां कटी हुई हों या तने जमीन से टूटे हुए हों. कातरा कीट से बचने के लिए किसान अपने खेत के चारों ओर 6 से 8 इंच गहरी खाई खोदें, इसके अलावा खेत में लाइट ट्रैप लगाएं. लाइट ट्रैप रात में कीटों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.

इन कीटनाशकों का करें इस्तेमाल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार , अगर खरीफ फसलों का कीट का प्रकोप ज्यादा हो तो किसानों को सलाह है कि वे फसल पर केमिकल कीटनाशकों का इस्तेमाल करें. किसान प्रति एकड़ फसल पर स्पिनोसैड 45 परसेंट SC का 75 मिलीलीटर छिड़काव करें या फिर इंडॉक्साकार्ब 14.5 परसेंट SC का 200 मिलीलीटर का छिड़काव करें. किसानों को ध्यान रखना होगा कि दवाओं का छिड़काव सुबह या शाम को करें जब कीट सबसे ज्यादा सक्रिय हों.

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