उत्तरकाशी के धराली गांव में हाल ही में बादल फटने की घटना ने एक बार फिर पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन की चुनौतियों को उजागर किया है. जब इंसानी जान खतरे में होती है, तब ग्रामीण अपने पशुओं को बचाने के लिए भी हरसंभव प्रयास करते हैं. ऐसे हालात में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आपदाओं के समय पशुओं की जान कैसे बचाई जाए. पारंपरिक उपायों के साथ-साथ सरकारी मुआवजा नीतियां भी इसमें सहायक भूमिका निभाती हैं.
धराली गांव में बादल फटने से मची अफरा-तफरी
धराली गांव में हुए प्रचंड बादल फटने की घटना से धराली मार्केट और आसपास के क्षेत्र पूरी तरह जलमग्न हो गए. झाड़ियों और पत्थरों का तेज बहाव आया और ग्रामवासी और खेत-गौशाला दोनों प्रभावित हुए. प्रशासन अब तक 60 लोगों के लापता होने की आशंका जता चुका है. राहत एवं बचाव कार्य में स्थानीय पुलिस, SDRF, NDRF और राज्य आपदा विभाग की टीमें लगी हुई हैं.
पशुओं की सुरक्षा कैसे करें
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में पशुपालन सामान्य जीवन का हिस्सा है. यहां के किसान आपदा में पशुओं की जान बचाने के लिए सतर्कता और सावधानी बरतते हैं. बादल फटने जैसे आपदाओं को देखते हुए पशुपालकों को ये उपाय अपनाना चाहिए.
- पशुओं को नदी किनारे से दूर, ऊंचाई वाले सुरक्षित स्थान पर करें.
- गोठों को मजबूत पत्थर-लकड़ी आदि से बनाएं ताकि वे मलबे या तेज बारिश से बचे रहें.
- संकट के दौरान आसपास के गोठ या पंचायत घरों में पशुओं को सुरक्षित स्थान पर रखें.
- पशु चारा, पानी आदि की आपात व्यवस्था पहले से बनाकर रखें.
पशु मृत्यु पर उत्तराखंड सरकार की मुआवजा नीति
उत्तराखंड सरकार की मानव‑वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली 2024 के अनुसार जंगली जानवरों या प्राकृतिक आपदाओं (जैसे बादल फटना, भूस्खलन आदि) में पशु की मृत्यु या हानि होने पर पात्र पशुपालकों को निर्धारित मुआवजा राशि प्रदान की जाती है. यह राज्य आपदा मोचन निधि (State Disaster Relief Fund) व मानव‑वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि से लागू होती है. नीचे देखिए मुआवाज सूची-
मुआवजा राशि-किस पशु को कितना?
पशु नाम | मुआवजा राशि |
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गाय, भैंस | 37,500 रुपये |
तीन वर्ष से अधिक आयु की भैंस | 37,500 रुपये |
ऊंट, घोड़ा, बैल आदि | 32,000 रुपये |
घोड़ा, खच्चर | 40,000 रुपये |
बैल (तीन वर्ष से अधिक आयु का) | 32,000 रुपये |
गाय की बछिया, भैंस का पटुवा | 20,000 रुपये |
बछड़ा, गधा, खच्चर, हेफर, टट्टू | 20,000 रुपये |
बकरी, भेड़, सुअर | 5,000 रुपये |
राहत कार्य और जिम्मेदारी की घोषणा
आपदा के तुरंत बाद राज्य आपदा कंट्रोल रूम और जिलाधिकारी सतर्क हो गए. एमवीयू, SDRF‑NDRF टीमों के साथ बचाव अभियान जारी किया गया. प्रभावितों को प्राथमिक चिकित्सा, भोजन-पानी, अस्थाई निवास की व्यवस्था की गई. प्रशासन ने घोषणा की कि पारदर्शी तरीके से पशु हानि पर मुआवजा प्रक्रिया शुरू की जाएगी. प्रभावितों को मान्य दस्तावेज और हानि प्रमाण देने पर राशि का वितरण किया जाएगा.