भारत में मसालों की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है, और जीरा उनमें से एक प्रमुख मसाला है. जीरा का उपयोग हर भारतीय रसोई में किया जाता है, जिससे इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती हैं.
जीरे की खेती में सही किस्म का चयन करना बहुत जरूरी होता है. किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए जीरे की आरजेड 19, आरजेड 209, जीसी 1, जीसी 2, जीसी 3 और आरजेड 223 उन्नत किस्मों को अपनाना चाहिए. इन किस्मों की फसल लगभग 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है. किसान इसे प्रति हेक्टेयर 510 से 530 किलोग्राम जीरे का उत्पादन कर सकते हैं.यदि किसान आधुनिक तकनीकों और उन्नत किस्मों के साथ जीरे की खेती करें, तो वह कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
कैसे करें जीरे की खेती?
मिट्टी और खेत की तैयारी: रबी फसल होने के कारण इसकी खेती नवंबर से दिसंबर के बीच का समय सही होता है. दोमट या बलुई दोमट मिट्टी जिसमें पानी का निकास अच्छा हो, इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. अच्छी पैदावार के लिए खेत में 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या ट्राइकोडरमा जैसी जैविक खादों का प्रयोग करें.
बीज की तैयारी और बुवाई: बीज को बोने से पहले 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 4 ग्राम ट्राइकोडरमा से उपचारित करें. बुवाई कतारों में करें आमतौर पर 20-25 सेंटी मीटर की दूरी रखी जाती है. एक हेक्टेयर खेत के लिए 12-15 किलो जीरे के बीज की जरूरत होती है. बुवाई छिड़काव विधि से करें और बीज को हल्की मिट्टी से ढक दें.
सिंचाई और देखभाल: पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें, जिससे बीज का अंकुरण सही तरीके से हो सके. दूसरी बार पहली सिंचाई के 7 दिन बाद करें. इसके बाद 15 से 25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें. अधिक सिंचाई न करें, क्योंकि ज्यादा नमी से फसल को नुकसान हो सकता है.
फसल की कटाई: जीरे की फसल तैयार होने में करीब 90 से 110 दिन लगते हैं. जब पौधे सूखने लगें और बीज हल्का भूरा हो जाए, तब कटाई करें और धूप में सुखाएं.
किसानों के लिए मुनाफे
- – यह जल्दी तैयार होने वाले फसलों में से एक हैं, जिससे किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा मिल सकता हैं.
- – मंडी में जीरे की मांग हमेशा बनी रहती है, और इसकी खेती हर मौसम में की जा सकती हैं. जिससे किसानों को अच्छे दाम मिल सकते हैं.
- – जीरे की खेती से किसानों को आय का एक अच्छा स्रोत मिलता है. जिससे किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत होने में मदद मिलती है.