ट्रैक्टर टायर पर कितने साल की मिलती है वारंटी? किसान जरूर जानें ये बात
खेतों में ट्रैक्टर को रोजाना कठिन हालातों का सामना करना पड़ता है. कभी पथरीली जमीन, कभी गीली मिट्टी, तो कभी भारी बोझ के साथ लंबी दूरी तय करनी होती है. इन परिस्थितियों में टायर सबसे ज्यादा दबाव झेलते हैं. अगर टायर में किसी तरह की मैन्युफैक्चरिंग खराबी आ जाए, तो किसान को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.
Tractor Tyre: खेती-किसानी की दुनिया में अगर किसी मशीन ने किसान की जिंदगी आसान बनाई है, तो वह ट्रैक्टर है. खेत की जुताई से लेकर ढुलाई तक, हर काम में ट्रैक्टर किसान का सबसे मजबूत साथी होता है. लेकिन इस मजबूत साथी की असली ताकत उसके टायर होते हैं. ट्रैक्टर चाहे कितना भी दमदार क्यों न हो, अगर उसके टायर कमजोर हों तो काम रुक जाता है. ऐसे में ट्रैक्टर टायर की वारंटी किसान के लिए सिर्फ एक कागज नहीं, बल्कि भरोसे की असली गारंटी बन जाती है.
ट्रैक्टर टायर पर वारंटी क्यों जरूरी है?
खेतों में ट्रैक्टर को रोजाना कठिन हालातों का सामना करना पड़ता है. कभी पथरीली जमीन, कभी गीली मिट्टी, तो कभी भारी बोझ के साथ लंबी दूरी तय करनी होती है. इन परिस्थितियों में टायर सबसे ज्यादा दबाव झेलते हैं. अगर टायर में किसी तरह की मैन्युफैक्चरिंग खराबी आ जाए, तो किसान को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. वारंटी ऐसे ही समय में किसान को सुरक्षा देती है. वारंटी के दौरान अगर टायर में कोई तकनीकी खामी निकलती है, तो कंपनी मरम्मत या बदले में नया टायर देकर किसान को राहत देती है.
ट्रैक्टर टायर की वारंटी कितने साल की होती है?
भारत में ट्रैक्टर टायर बनाने वाली कंपनियां आमतौर पर 3 साल से लेकर 7 साल तक की वारंटी देती हैं. यह वारंटी अधिकतर टायर के निर्माण की तारीख से शुरू होती है. कुछ कंपनियां खरीद की तारीख को भी आधार मानती हैं. वारंटी की अवधि इस बात पर भी निर्भर करती है कि टायर का उपयोग किस तरह किया गया है और उसका ट्रेड कितना घिस चुका है. कई कंपनियां प्रोराटा वारंटी देती हैं, यानी टायर जितना कम घिसा होगा, उतना ज्यादा मुआवजा मिलने की संभावना रहती है.
बड़ी कंपनियां क्या वारंटी देती हैं?
देश की प्रमुख टायर कंपनियां जैसे एमआरएफ, जेके, अपोलो, सीएट, गुडईयर, एमआरएल और राल्को किसानों को अलग-अलग अवधि की वारंटी देती हैं. कुछ कंपनियां 6 से 7 साल तक की लंबी वारंटी देती हैं, जबकि कुछ में यह अवधि थोड़ी कम होती है. खास बात यह है कि अब ज्यादातर कंपनियां ट्रेड डेप्थ को ध्यान में रखकर वारंटी तय करती हैं, ताकि किसान को उपयोग के हिसाब से सही लाभ मिल सके.
वारंटी किन हालातों में नहीं मिलती?
यह समझना भी जरूरी है कि वारंटी हर नुकसान पर लागू नहीं होती. अगर टायर को गलत हवा दबाव में चलाया गया हो, ओवरलोडिंग की गई हो, या किसी नुकीली चीज से कट लग गया हो, तो ऐसी स्थिति में वारंटी मान्य नहीं होती. इसके अलावा, लंबे समय तक टायर को बिना इस्तेमाल के धूप में रखने या गलत तरीके से स्टोर करने पर भी वारंटी खत्म हो सकती है. इसलिए टायर की सही देखभाल उतनी ही जरूरी है, जितनी उसकी वारंटी.
टायर खरीदते समय किसान किन बातों का रखें ध्यान?
ट्रैक्टर टायर खरीदते समय सिर्फ कीमत नहीं, बल्कि वारंटी की शर्तों को ध्यान से पढ़ना चाहिए. बिल और वारंटी कार्ड संभालकर रखना बेहद जरूरी होता है. साथ ही, यह भी देखना चाहिए कि नजदीकी क्षेत्र में कंपनी का सर्विस सेंटर उपलब्ध है या नहीं. सही हवा दबाव, संतुलित लोड और समय-समय पर जांच से टायर की उम्र भी बढ़ती है और वारंटी का लाभ भी सुरक्षित रहता है.
सही वारंटी, सुरक्षित खेती
आज के दौर में जब खेती की लागत लगातार बढ़ रही है, ट्रैक्टर टायर पर मिलने वाली लंबी और भरोसेमंद वारंटी किसान के लिए बड़ी राहत है. यह न सिर्फ आर्थिक सुरक्षा देती है, बल्कि खेत में काम के दौरान आत्मविश्वास भी बढ़ाती है. इसलिए ट्रैक्टर टायर खरीदते समय समझदारी से फैसला लेना ही समझदार किसान की पहचान है.