ट्रैक्टर बिक्री ने पकड़ी रफ्तार, खेतों में बढ़ी हलचल तो बाजार में आई बहार, जानें आंकड़े
मानसून के समय से पहले आने से खेतों में हलचल बढ़ी, तो ट्रैक्टरों की मांग भी तेज हो गई. FADA की रिपोर्ट बताती है कि जून 2025 में ट्रैक्टर बिक्री में साल-दर-साल 8.68 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
जून 2025 की शुरुआत में जब बादल तय समय से पहले बरसे, तो सिर्फ खेतों में हरियाली ही नहीं आई, बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था में भी नई जान आ गई. इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून आठ दिन पहले आ गया और पूरे देश में नौ दिन पहले ही फैल गया. इसका सबसे बड़ा असर दिखा ट्रैक्टरों की बिक्री पर, जो ग्रामीण भारत में खेतों की रीढ़ बन चुके हैं.
समय से बरसा मानसून, किसानों ने शुरू की तेजी से बुवाई
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, मानसून की समय से पहले और व्यापक शुरुआत ने किसानों को खरीफ फसलों की बुवाई जल्दी शुरू करने का मौका दिया. नतीजा ये हुआ कि जून के आखिर तक खरीफ बुवाई 262.15 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई, जो पिछले साल से 11.3 फीसदी ज्यादा है.
जब खेतों में हलचल बढ़ी, तो ट्रैक्टरों की मांग भी तेज हो गई. FADA (फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन) की रिपोर्ट बताती है कि जून 2025 में ट्रैक्टर बिक्री में साल-दर-साल 8.68 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
गांवों में बिकी सबसे ज्यादा ट्रैक्टर
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रैक्टरों की कुल बिक्री में से 81.6 फीसदी हिस्सा ग्रामीण भारत का है. इसका मतलब है कि खेती-किसानी और गांवों में मशीनों के प्रति रुझान लगातार बढ़ रहा है. सिर्फ ट्रैक्टर ही नहीं, दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी जून में 4.73 फीसदी की वृद्धि हुई, जिसमें शादी-ब्याह और त्योहारों का भी अहम रोल रहा.
जहां शहरों में कारों की मांग करीब-करीब स्थिर रही (0.90 फीसदी की मामूली वृद्धि), वहीं गांवों में यह 5.05 फीसदी तक बढ़ी, जो दर्शाता है कि भारत की ऑटो इंडस्ट्री को नई ताकत अब गांव से मिल रही है.
भविष्य को लेकर उम्मीदें भी हैं, चिंता भी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार FADA के अध्यक्ष सी.एस. विग्नेश्वर ने बताया कि FY26 की पहली तिमाही में ऑटो बिक्री में 4.85 फीसदी की वृद्धि देखी गई है, लेकिन सबकुछ एकदम सकारात्मक नहीं है. महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में अत्यधिक बारिश ने ट्रैक्टर डिलीवरी और खेत तक पहुंचने में अड़चनें पैदा की हैं.
डीलर सर्वे में मिला-जुला नजरिया सामने आया है, जहां करीब 69 फीसदी डीलरों का मानना है कि जुलाई में बिक्री स्थिर या घट सकती है, जबकि 31 फीसदी को ही उम्मीद है कि बिक्री बढ़ेगी. इसके अलावा कारों की डीलरशिप पर 55 दिनों तक का स्टॉक भी चिंता का कारण है.
अगर बादल ऐसे ही बरसते रहे…
हालांकि चुनौतियां हैं, लेकिन उम्मीदें भी मजबूत हैं. सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाएं और किसानों की बढ़ती खरीद क्षमता, दोनों मिलकर ट्रैक्टरों और दूसरे कृषि उपकरणों की मांग को और बढ़ा सकते हैं. अगर मानसून इसी तरह बना रहा, तो ट्रैक्टर बिक्री इस साल भी ऑटो सेक्टर में नया रिकॉर्ड बना सकती है.