भारत में बासमती चावल की कीमतें पिछले दो महीनों में करीब 18 फीसदी बढ़ गई हैं. एगफिनटेक कंपनी ‘एग्रो टेक रिस्क प्रालि के डायरेक्टर अखिलेश जैन का कहना है कि पहले चावल 55 प्रति रुपये किलो था, जो अब बढ़कर 65 प्रति किलो हो गया है. इनमें से करीब 10-12 फीसदी की बढ़त सिर्फ पिछले कुछ दिनों में हुई है. कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार में बासमती चावल की कोई कमी नहीं है. भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के अलावा और कई अन्य वजहों से इसकी कीमतों में तेजी आई है.
NDTV प्रॉफिट की रिपोर्ट के मुताबिक, वास्तव में तो चावल की भरपूर मात्रा बाजार में मौजूद है. सरकार ने भी हाल ही में एथेनॉल उत्पादन के लिए चावल का आवंटन बढ़ा दिया. सरकार ने एथेनॉल उत्पादन के लिए पहले से दिए गए 24 लाख टन के अलावा अब और 28 लाख टन चावल की मंजूरी दी है. ये आवंटन नवंबर 2024 से शुरू होने वाले साल के लिए है. हालांकि, अखिलेश जैन का कहना है कि भारत-पाक टेंशन के अलावा भी बासमती कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर कई फैक्टर्स जिम्मेदार हैं. इनमें एक भारत सरकार द्वारा बासमती चावल पर 950 डॉलर प्रति टन की न्यूनतम निर्यात कीमत (MEP) हटाना भी है. इससे भारतीय बासमती चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो गया है और निर्यात में बढ़ोतरी हुई है.
इन वजहों से बढ़ी कीमतें
एक्सपर्ट के मुताबिक, मौसम में बार-बार बदलाव और जलवायु परिवर्तन ने भी फसलों की पैदावार पर असर डाला है. साथ ही, खेती से जुड़ी लागत और परिवहन खर्च बढ़ने से भी बासमती चावल की कीमतें बढ़ गई हैं. ये सभी कारण मिलकर दिखाते हैं कि कैसे ग्लोबल व्यापार, जलवायु और बाजार की स्थितियां आपस में जुड़ी हुई हैं. वहीं, खाद्य और व्यापार नीति विशेषज्ञों का मानना है कि हालिया तेजी का एक कारण मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव भी हो सकता है. ऐसे में थोड़े-बहुत उतार-चढ़ाव की उम्मीद की जा सकती है और यह तेजी कुछ समय में कम भी हो सकती है.
बासमती चावल की कीमतों पर बना दबाव
हालांकि, जैन का कहना है कि निकट भविष्य में कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं. भारत सरकार के पास चावल का रिकॉर्ड स्टॉक है. इसलिए सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) हटा दिया है और बाकी पाबंदियों को भी धीरे-धीरे कम कर रही है. इससे भारतीय चावल को ग्लोबल मार्केट में पाकिस्तान जैसे देशों से मुकाबला करने में मदद मिलेगी, जिसने हाल ही में अपने निर्यात में इजाफा किया है. लेकिन मौसम में अनिश्चितता, पानी की कमी और लागत बढ़ने जैसे जोखिम अभी भी उत्पादन और सप्लाई को प्रभावित कर सकते हैं. जैन के अनुसार, इन चुनौतियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मांग भी मजबूत बनी हुई है, जिससे आने वाले महीनों में बासमती चावल की कीमतों पर दबाव बना रह सकता है.