आंध्र प्रदेश के किसान परिवारों पर है सबसे ज्यादा कृषि लोन, जानें किन राज्यों पर है सबसे कम कर्ज
भारत के किसानों पर बढ़ता कर्ज को बोझ चिंता का कारण बनता जा रहा है. पंजाब, हरियाणा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में औसतन सबसे ज्यादा कर्ज है. इनपुट लागत, कम आय, मौसम की मार और मुआवजे की कमी जैसे कारण किसानों को कर्ज लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
भारत के किसानों पर कर्ज का बोझ अब भी भारी बना हुआ है. हाल ही में जारी राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों पर औसतन सबसे ज्यादा कर्ज है. लोकसभा में कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, कर्ज लेने के मामले में आंध्र प्रदेश सबसे ऊपर है, जहां हर किसान परिवार पर औसतन 2,45,554 रुपये का कर्ज है. इसके बाद पंजाब 2,03,249 रुपये और हरियाणा 1,82,922 रुपये के औसत कर्ज के साथ क्रमश: तीसरे और चौथे नंबर पर हैं.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में यह आंकड़ा 85,825 रुपये है, जबकि सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में हर किसान परिवार पर औसतन 51,107 रुपये का कर्ज है. ये आंकड़े बताते हैं कि किसान आज भी कर्ज पर काफी निर्भर हैं. हालांकि, जानकारों का कहना है कि खेती में इनपुट लागत लगातार बढ़ रही है. ऐसे में किसानों को खेती करने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है. लेकिन इनपुट लागत के मुकाबले किसानों की कमाई नहीं हो पर रही है. इसके अलावा मौसम की मार भी किसानों को कर्ज लेने के लिए मजबूर कर रही है.
किसान क्यों लेते हैं कर्ज
दरअसल, देश में हर साल हजारों हेक्टेयर फसल बारिश और ओलावृष्टि के कारण बर्बाद हो जाती है. खास कर बाढ़ से फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचता है. ऐसे में किसानों की आर्थिक हानि होती है. सरकार की तरफ से प्रयाप्त मुआवजा नहीं मिलने के कारण किसान को नुकसान होता है. ऐसे में किसानों को अगले सीजन में खेती करने के लिए बैंकों से कृषि लोन लेना पड़ता है.
आंध्र प्रदेश में औसत कर्ज सबसे ज्यादा
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर खेती से जुड़े कर्ज में सुधार नहीं किया गया तो यह भारी और असहनीय हो सकता है. अगर बात दक्षिण भारत की करें, तो इन राज्यों के किसान कर्ज लेने में सबसे आगे हैं. आंध्र प्रदेश में औसत कर्ज सबसे ज्यादा है, 2,45,554 रुपये प्रति परिवार. इसके बाद केरल 2,42,482 रुपये, तेलंगाना 1,52,113 रुपये, कर्नाटक 1,26,240 रुपये और तमिलनाडु 1,06,553 रुपये के साथ आते हैं.
पूरे भारत में औसत कर्ज 74,121 रुपये
इन राज्यों में बैंक और गैर-बैंक दोनों तरह के कर्ज के स्रोत बढ़ गए हैं, जिससे कर्ज का बोझ बढ़ गया है, भले ही कुछ जगह खेती की पैदावार ज्यादा हो. हालांकि, देशभर में कर्ज के मामले में बड़ा अंतर है. पूरे भारत में औसत कर्ज 74,121 रुपये है, लेकिन राज्यों के हिसाब से यह बहुत अलग है. मध्य प्रदेश 74,420 रुपये, राजस्थान 1,13,865 रुपये, महाराष्ट्र 82,085 रुपये, गुजरात 56,568 रुपये, ओडिशा 32,721 रुपये, पश्चिम बंगाल 26,452 रुपये , बिहार 23,534 रुपये और छत्तीसगढ़ में प्रति किसान परिवार पर कर्ज 21,443 रुपये है.