आदिवासी किसानों की जमीन खाली कराने पर बवाल, किसान संगठन के समर्थन पर केंद्र से आया आदेश

किसान नेता राजेश धाकड़ ने कहा कि कई गांवों के आदिवासी किसान पीढ़ियों से वन भूमि पर खेती करते आ रहे हैं, लेकिन वन विभाग की ओर से कृषि भूमि का उपयोग नहीं करने दिया जा रहा है. वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत मिलने वाले अधिकारों से आदिवासियों को वंचित किया जा रहा है. वन विभाग जमीन से बेदखल करने की धमकी दी जा रही थी.

नोएडा | Updated On: 16 Nov, 2025 | 02:18 PM

मध्य प्रदेश के रायसेन जिला समेत इलाके में खेती करने वाले आदिवासी किसानों से वन विभाग की ओर से जमीन खाली कराने का मामला केंद्र सरकार तक पहुंच गया है. आदिवासी किसानों ने कहा कि उनके बुजुर्ग कई दशकों से जमीन पर खेती करते आ रहे हैं और अब वन विभाग उसे अपनी जमीन बताकर खाली करने की कार्रवाई कर रहा है. इस मामले में 2 नवंबर को नाराज आदिवासी किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया था. आदिवासी किसानों के पक्ष में किसान महापंचायत के आने से मामला दिल्ली तक पहुंच गया और अब केंद्रीय कृषि मंत्री ने वन विभाग को निर्देश जारी कर दिया है और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का शिकंजा कस गया है.

किसान महापंचायत मध्य प्रदेश के अध्यक्ष राजेश धाकड़ ने ‘किसान इंडिया’ को बताया कि रायसेन जिला समेत आसपास के इलाके में बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं और वह कई दशकों से जंगल में खेती करते आ रहे हैं. लेकिन, सितंबर 2025 के आखिरी सप्ताह में किसानों को वन विभाग की ओर से नोटिस मिले कि वे जिस जमीन पर खेती कर रहे हैं वह वन विभाग की है और किसानों को वह जमीन खाली करनी होगी.

विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी के बाद केंद्र को लिखी चिट्ठी

रायसेन जिले के बम्होरी कस्बा के ग्राम गजेंद्र सिमरिया समेत अन्य गांवों के आदिवासी किसानों ने वन विभाग और जिला प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और नारेबाजी की. आदिवासी किसानों ने अपने पुरखों की जमीन वन विभाग को देने से इनकार कर दिया. मामले ने तूल पकड़ा और किसान महापंचायत ने इस मुद्दे को हल करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखी, जिसके बाद अब केंद्रीय मंत्री की ओर से आदिवासी किसानों के पक्ष में आदेश आ गया है.

वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासी हकों की मांग

किसान नेता राजेश धाकड़ ने कहा कि कई गांवों के आदिवासी किसान पीढ़ियों से वन भूमि पर खेती करते आ रहे हैं, लेकिन वन विभाग की ओर से कृषि भूमि का उपयोग नहीं करने दिया जा रहा है. वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत मिलने वाले अधिकारों से आदिवासियों को वंचित किया जा रहा है.आदिवासी परिवार अपनी आजीविका के लिए वन भूमि पर निर्भर हैं, लेकिन वन विभाग बार-बार किसानों को परेशान कर रहा है और जमीन से बेदखल करने की धमकी दी जा रही थी.

आदिवासी किसानों की समस्या पर अफसरों पर भड़के शिवराज सिंह

किसान नेता ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखकर अपील की थी कि वन विभाग को निर्देश दें कि वे आदिवासियों को वन भूमि पर खेती करने दें और वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत मिलने वाले अधिकारों को दिया जाए. इसके बाद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान 15 नवंबर को आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के लिए विदिशा पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने आदिवासियों को जमीन से बेदखल करने पर नाराजगी जताई और वन विभाग समेत जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस वापस लेने का निर्देश दिया.

वन विभाग की जमीन से बेदखल नहीं होंगे आदिवासी किसान

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि फॉरेस्ट जमीन पर वर्षों से खेती कर रहे गरीब परिवारों को किसी भी स्थिति में बेदखल नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शिकायत मिली है कि कुछ गांवों में आदिवासियों को नोटिस दिए गए हैं, जिनमें कहा गया है कि वो जिन जमीनों पर लंबे समय से खेती कर रहे हैं, वहां से कब्जा हटाएं, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि भाजपा आदिवासियों और किसानों के हितों की रक्षक है और किसी भी निर्दोष परिवार के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा.

नोटिस वापस लेने और अधिकारियों पर जांच के निर्देश

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि किसी गरीब की जमीन छीनी नहीं जाएगी. जिस जमीन पर वो वर्षों से खेती कर रहे हैं, उस कब्जे को हटाने का सवाल ही नहीं उठता. शिवराज सिंह ने कहा कि कुछ अधिकारी बिना विवेक के नोटिस जारी कर रहे हैं और गरीब परिवारों पर अनावश्यक दबाव डाल रहे हैं. ऐसे मामलों की जांच की जाएगी और गलत तरीके से दिए गए नोटिस रद्द कराए जाएंगे.

Published: 16 Nov, 2025 | 02:17 PM

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