50 हजार रुपये प्रति क्विंटल बिकता है ये फूल, खेती से बढ़ेगी किसानों की कमाई

अपराजिता एक औषधीय पौधा है जिसकी मांग देश और विदेशों में बढ़ रही है. किसान इसकी खेती से कम लागत में भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

नोएडा | Updated On: 19 May, 2025 | 07:32 PM

अब किसान सिर्फ गेहूं, धान या सब्जियां से ही नहीं बल्कि फूलों की खेती को भी अतिरिक्त कमाई का जरिया बना सकते हैं. आज के दौर में कई ऐसे औषधीय और हर्बल पौधे हैं, जिनसे किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. इन्हीं में से एक है अपराजिता का फूल, जिसे बटरफ्लाई पी (Butterfly Pea) भी कहा जाता है. ये फूल न सिर्फ दिखने में बेहद सुंदर होता है, बल्कि औषधीय गुणों के कारण भी इसकी मांग लगातार देश और विदेशों में बढ़ रही है. यही वजह है कि अब किसान इसकी खेती की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं.

हेल्थ कॉन्शस लोगों के बीच लोकप्रिय

अपराजिता एक बेलनुमा पौधा है, जो नीले, सफेद या हल्के बैंगनी रंग के फूल देता है. यह फूल देखने में जितना सुंदर है, उतना ही सेहत के लिए भी फायदेमंद है. इसका इस्तेमाल चाय बनाने से लेकर दवाओं, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स, और हर्बल ड्रिंक्स में किया जाता है. यही नहीं, अपराजिता की ब्लू टी तो आजकल हेल्थ कॉन्शस लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई है.

 40-50 हजार रुपये प्रति क्विंटल

कम लागत में तैयार होने वाली इस फसल से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. एक हेक्टेयर में 1 से 3 टन सूखा चारा और 100 से 150 किलो बीजों का उत्पादन होता है. अगर सिंचाई की सुविधा अच्छी हो, तो उत्पादन 8-10 टन सूखे चारे और 500-600 किलो बीजों तक पहुंच सकता. इसके साथ ही जब हम इन फूलों के मार्केट वैल्यू की बात करें तो यह 40 हजार से 50 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिकते है. इन सब मेंन सबसे खास बात यह है कि किसान इसकी खेती कम जगहों में भी आसानी से कर सकते है.

इन रूपों में भी होता है इस्तेमाल

अपराजिता के फूलों से बनी ब्लू टी हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के लिए फायदेमंद मानी जाती है. इसकी जड़, पत्तियां और बीज कई तरह की बीमारियों जैसे मूत्र संक्रमण, त्वचा रोग, फंगल इंफेक्शन, मानसिक तनाव, डिप्रेशन, पाचन और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में असरदार हैं. इसके अलावा थाईलैंड और भारत में इसके अर्क का उपयोग स्किन केयर प्रोडक्ट्स में किया जाता है.

इन देशों में खूब मांग

अपराजिता की फूलों की मांग अमेरिका, यूरोप और थाईलैंड जैसे देशों में तेजी से बढ़ रही है. किसान अगर इसकी प्रोसेसिंग कर निर्यात करें, तो हजारों रुपये प्रति किलो की कमाई की जा सकती है. जब बात इसकी खेती की आती है तो किसान इसकी अच्छी उपज कम पानी और खाद में भी आसानी से कर सकता है.

Published: 19 May, 2025 | 07:32 PM