अगर आप अपने घर या बगीचे में लगाए गए नींबू के पौधे से फल आने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सालों से कुछ नहीं हो रहा, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं. थोड़ा सा बदलाव और थोड़ी सी समझदारी आपके नींबू के पौधे को फलों से भर सकता है.
नींबू एक ऐसा पौधा है, जो अगर सही मिट्टी, सही खाद और थोड़ी सी देखभाल पाए, तो सिर्फ 3-4 महीनों में फल देना शुरू कर सकता है. अक्सर लोग नर्सरी से पौधा लाकर सीधा मिट्टी में लगा देते हैं और फिर इंतजार करते हैं कि वो खुद-ब-खुद फल देने लगेगा. लेकिन नींबू का पौधा थोड़ा खास है, इसे खास तरीके से पोषण देना होता है.
पौधा लगाने से पहले मिट्टी को बनाएं ताकतवर
नींबू के पौधे के लिए मिट्टी सिर्फ जमीन भरने का काम नहीं करती, बल्कि यही उसकी सेहत और फलने-फूलने की नींव होती है. जब भी आप गमले में नींबू का पौधा लगाएं, तो आम मिट्टी के साथ कुछ जरूरी चीजें जरूर मिलाएं:
- वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद मिट्टी को नरम बनाती है और पोषक तत्वों से भर देती है.
- नीम की खली मिट्टी में मौजूद कीड़ों से लड़ने का काम करती है और पौधे को रोगमुक्त रखती है.
- उबली हुई चायपत्ती पौधे को जरूरी माइक्रो न्यूट्रिएंट्स देती है जो उसके विकास में मदद करते हैं.
इस पूरी मिट्टी को अच्छे से मिलाकर गमले में भरें और पौधे को लगाएं. लगाने से पहले पौधे की जड़ों के पास की पुरानी मिट्टी को थोड़ा हटाना बेहतर रहता है ताकि नई मिट्टी की ताकत सीधे जड़ों तक पहुंचे.
नींबू के लिए जादू जैसा काम करता है मछली का पानी
अब बात करते हैं उस खास खाद की, जो आपके नींबू के पौधे को चमत्कारिक रूप से फलने में मदद करेगी और वो है मछली का पानी. अगर आपके घर में एक्वेरियम है, तो उसमें जमा हुआ पानी फेंकने की जगह, उसे अपने नींबू के पौधे में डालें. इस पानी में प्राकृतिक रूप से मौजूद नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम जैसे तत्व पौधे को मजबूत और फलों से भरपूर बना देते हैं.
हर 10-15 दिन में एक बार मछली का पानी डालें और फिर देखें जादू, कुछ ही समय में आपके पौधे में फूल आने लगेंगे और जल्द ही नींबू भी.
थोड़ी सी देखभाल, ढेर सारे नींबू
नींबू का पौधा ज्यादा देखभाल नहीं मांगता, लेकिन थोड़ी-सी नियमित मेहनत जरूर चाहिए. इसे रोज हल्की धूप में रखें और तेज दोपहर की धूप से बचाएं. पानी तभी दें जब मिट्टी सूखी लगे, वरना जड़ें खराब हो सकती हैं. हर 10-12 दिन में गमले की मिट्टी को थोड़ा-सा ऊपर से हल्का खोद दें, ताकि हवा और पोषक तत्व जड़ों तक आसानी से पहुंच सकें.