खेती में तकनीक बढ़ेगी.. सरकार ने विदेशी कृषि मशीनों का टेस्टिंग टाइम घटाया, फीस भी आधी होगी
किसानों तक जल्दी से कृषि मशीनों और तकनीकों को पहुंचाने के लिए सरकार ने विदेशी कृषि मशीनों का टेस्टिंग टाइम घटा दिया है. इससे यह मशीनों जल्दी से अप्रूव होकर खेती में इस्तेमाल की जा सकेंगी. कृषि सचिव ने कहा कि खेती के विकास और किसानों की कमाई बढ़ाने, लागत घटाने के लिए खेती में मशीनीकरण बढ़ाना जरूरी है.
देश की खेती को आधुनिक बनाने की दिशा में केंद्र सरकार तेजी से काम कर रही है. कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि देश में छोटे किसानों की संख्या ज्यादा और ऐसे में तकनीक, मशीनों को उन तक पहुंचाने के लिए नए मॉडल पर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देश के साथ ही विदेशी तकनीकों और मशीनों का इस्तेमाल खेती में तेजी से बढ़ाने के लिए इनकी टेस्टिंग टाइम को 9 महीने से घटाकर 3 महीने करने का फैसला किया गया है. इससे इन मशीनों का टेस्टिंग में खर्च होने वाला समय खेती में इस्तेमाल हो सकेगा. इसके साथ ही विदेश तकनीकों, मशीनों को भारत में लाने के लिए सरकार ने पंजीकरण फीस भी आधी करने की तैयारी में है.
छोटे किसानों के लिए रेंटल मॉडल और सस्ते इक्विपमेंट प्रमोट कर रही सरकार
केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि देश में 90 फीसदी किसान छोटे और मार्जिनल किसान हैं. इसलिए भारत में आने वाली मशीनरी को न सिर्फ बड़े खेतों के लिए बल्कि छोटे और मार्जिनल खेतों के लिए भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि सरकार छोटे खेतों तक पहुंचने के लिए रेंटल मॉडल और कम लागत वाले इक्विपमेंट को प्रमोट कर रही है, साथ ही किसान प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन के जरिए कंसोलिडेशन को बढ़ावा दे रही है.
कृषि मशीनों का टेस्टिंग टाइम घटाकर केवल 3 माह किया गया
FICCI की ओर से आयोजित EIMA एग्रीमैच इवेंट के नौवें एडिशन को संबोधित करते हुए कृषि सचिव ने कहा कि कृषि सुधारों के हिस्से के तौर पर मिनिस्ट्री ने नई खेती की मशीनों के लिए टेस्टिंग का समय पहले के 9-10 महीने से घटाकर तीन महीने कर दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि स्टार्टअप और ग्रीन फ्यूल-बेस्ड इक्विपमेंट के लिए टेस्टिंग फीस भी कम कर दी गई है और इसे 50 परसेंट करने का प्लान है.
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ग्रीन फ्यूल पर आधारित खेती की मशीनरी को प्राथमिकता
एग्रीकल्चर सेक्रेटरी देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार ग्रीन फ्यूल पर आधारित खेती की मशीनरी को प्राथमिकता देगी और छोटे और सीमांत किसानों के लिए मशीनीकरण तक पहुंच बढ़ाएगी. यह भारत के 2047 तक ग्लोबल फूड बास्केट बनने के विजन का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि किसानों की इनकम बढ़ाने के चार मुख्य लक्ष्यों को पाने के लिए मशीनीकरण बहुत जरूरी है- खेती की लागत कम करना, प्रोडक्टिविटी बढ़ाना, वैल्यू एडिशन के ज़रिए बेहतर कीमत पाना और क्लाइमेट रेजिलिएंस बनाना.
उन्होंने कहा कि अगले 5-10 सालों में हमें अपनी टेक्नोलॉजी को ग्रीन फ्यूल की ओर ले जाना चाहिए. चाहे वे बिजली से चलने वाले ट्रैक्टर हों या ग्रामीण CBG प्लांट से मिलने वाले CBG (कम्प्रेस्ड बायोगैस) पर चलने वाली मशीनें हों. एग्रीकल्चर सेक्रेटरी ने कहा कि इस बदलाव से किसानों के लिए मेंटेनेंस और ऑपरेशनल कॉस्ट दोनों कम हो जाएंगे, और सरकारी स्कीमें ग्रीन फ्यूल पर आधारित टेक्नोलॉजी को ज्यादा प्राथमिकता देंगी.
इटैलियन एम्बेसडर एंटोनियो बार्टोली के साथ कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और अन्य.
इटैलियन कृषि मशीनरी का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर रहेगा
उन्होंने कहा कि भारत में इटैलियन कृषि मशीनों का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है. उन्होंने इटैलियन इंडस्ट्री के साथियों से इस एरिया में मिलकर काम करने की अपील की और कहा कि यह समय की जरूरत है. इटैलियन एम्बेसडर एंटोनियो बार्टोली ने कहा कि एग्रीकल्चर, एग्री-फूड वैल्यू चेन में भारत की GDP का लगभग 16 परसेंट और इटली की GDP का 15 परसेंट है, और उन्होंने दोनों देशों के रिश्तों में इस सेक्टर की भूमिका पर जोर दिया.
बार्टोली ने कहा कि भारत का मशीनरी मार्केट 2032 तक दोगुना होकर लगभग USD 20 बिलियन होने की उम्मीद है. इटली के पास एग्रीकल्चर 4.0 के लिए टेक्नोलॉजी है, और भारत के पास मार्केट है. लगभग 20 इटैलियन कंपनियों की भारत में प्रोडक्शन फैसिलिटी हैं. बार्टोली ने कहा कि इटली ने सहयोग को सपोर्ट करने के लिए इंस्ट्रूमेंट बनाए हैं. हमें उम्मीद है कि न सिर्फ़ इटैलियन मशीनरी का ज़्यादा एक्सपोर्ट होगा, बल्कि भारतीय कंपनियों के साथ और ज़्यादा जॉइंट वेंचर भी होंगे ताकि यहां प्रोडक्शन किया जा सके और इस डायरेक्ट मार्केट और साउथ एशिया के मार्केट को भी संतुष्ट किया जा सके.