कॉलेज में किसानों के साथ छात्रों ने समझीं ऑर्गेनिक फार्मिंग की बारीकियां

इस वर्कशॉप का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी देना और छात्रों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देना है. वैज्ञानिकों ने संरक्षण कृषि,मिट्टी संरक्षण,जल प्रबंधन और एग्रो-इंडस्ट्री में करियर के अवसरों पर चर्चा की.

Kisan India
Noida | Updated On: 6 Mar, 2025 | 03:38 PM

आज के समय में कृषि केवल परंपरागत खेती तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि नई-नई तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर किसान अपनी पैदावार को दोगुना कर सकते हैं. इसी उद्देश्य से गाजीपुर के पीजी कॉलेज में ‘संरक्षण कृषि(conservation agriculture)’ पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. यह ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (Rural Agricultural Work Experience) कार्यक्रम के तहत आयोजित की गई थी, जिसमें कृषि वैज्ञानिकों, छात्रों और किसानों ने भाग लिया.

वैज्ञानिकों ने दी नई जानकारियां

वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में हो रहे बदलावों, नई तकनीकों और सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में किसानों और छात्रों को जागरूक करना था. कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद डॉ. संगीता बलवंत मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं जिन्होंने किसानों के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सरकार ने कृषि क्षेत्र को बजट में विशेष महत्व देने के साथ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत पांच लाख रुपए तक का लोन भी मिल सकेगा.

कृषि के डेप्यूटी डायरेक्टर डॉ. अतिंद्र सिंह ने किसानों और छात्रों को कृषि सुधार की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आज के दौर में परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों को अपनाना जरूरी हो गया है, जिससे किसानों की लागत कम हो और उत्पादन अधिक हो  सके.

मिट्टी और जल संरक्षण पर जोर

कृषि वैज्ञानिक डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह ने मिट्टी के संरक्षण के लिए कई तकनीकों की जानकारी देते हुए बताया कि सीढ़ीदार खेतों (Terrace Farming) और कवर फसलों (Cover Crops) को अपनाकर मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखा जा सकता है. इसके अलावा, सतत जल प्रबंधन (Water Management) को अपनाने से सिंचाई की लागत को कम और सूखे की समस्या का निपटारा किया जा सकता है.

एग्रो-इंडस्ट्री और जैविक खेती में मौके

कॉलेज के प्राचार्य प्रो. राघवेंद्र कुमार पांडेय ने वर्कशॉप के दौरान कहां कि कृषि केवल पारंपरिक खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें नई तकनीकों के माध्यम से एग्रो-इंडस्ट्री (Agro-Industry) और जैविक खेती (Organic Farming) जैसे क्षेत्रों में ग्रामीण और शहरी युवाओं के लिए रोजगार के कई अवसर उपलब्ध हैं.

कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर प्रो. जी सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) द्वारा शुरू किए गए ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (RAWE) कार्यक्रम की जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को 20 सप्ताह का विशेष ट्रेनिंग दि जाएगी, जिसमें वे सीधे किसानों के साथ मिलकर काम करेंगे और आधुनिक तकनीकों को रूप प्रैक्टिकली सीखेंगे.

RAWE कार्यक्रम के अंतर्गत

कॉलेज कैंपस और कृषि विज्ञान केंद्र में ट्रेनिंग: छात्रों को कृषि विज्ञान की बारीकियों की जानकारी दी जाएगी.
प्लांट हेल्थ क्लिनिक की ट्रेनिंग के तहत छात्रों को पौधों की बीमारियों और उनके इलाज के बारे में सिखाया जाएगा.
छात्र किसानों के साथ मिलकर खेतों में काम करेंगे और उन्हें नई तकनीकों के बारे में जानकारी देंगे.
छात्रों को कृषि आधारित कंपनीयों में काम करने का अनुभव मिलेगा ताकि वो भविष्य में अपना स्टार्टअप भी शुरू कर सकें.

छात्रों और किसानों के अनुसार

वर्कशॉप में शामिल होने आए छात्रों का कहना था कि इस वर्कशॉप से उन्‍हें खेती की नई तकनीकों के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला.  मिट्टी संरक्षण और जल प्रबंधन के बारे में जो जानकारियां दी गईं, वो काफी उपयोगी हैं. वहीं किसानों का कहना था कि वो पिछले कई सालों से  परंपरागत खेती करते आ रहे थे, लेकिन इस वर्कशॉप में उन्‍हें ऑर्गेनिक फार्मिंग के साथ ही साथ खेती की दूसरी तकनीकों के बारे में सीखने को मिला है.

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Published: 6 Mar, 2025 | 03:37 PM

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