मध्य और दक्षिण भारत में भारी बारिश की वजह से खरीफ की प्रमुख फसलें उड़द, तूअर, सोयाबीन, कपास और सब्जियों को बड़ा नुकसान हुआ है. इससे किसानों को भारी नुकसान होने की आशंका है. हालांकि मुंबई में इस महीने लगातार हुई बारिश के चलते सब्जियों के दाम 30-40 फीसदी तक गिर गए हैं, क्योंकि खरीदार बारिश की वजह से बाजार नहीं पहुंच पा रहे हैं.
द इकोनॉमिस्ट टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वाशी APMC (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी) में सब्जी बाजार के निदेशक शंकर पिंगले ने कहा कि बारिश की वजह से मुंबई में सब्जियों की आवक काफी कम हो गई है. ज्यादा नमी के कारण भारी मात्रा में पत्तेदार सब्जियां खराब हो गईं, जिन्हें हमें फेंकना पड़ा. व्यापारियों का कहना है कि जिन फसलों को खेतों में पानी भरने से नुकसान हुआ है, उनकी कीमतें कुछ हफ्तों बाद तेजी से बढ़ सकती हैं.
कीमतों में 25-50 फीसदी तक उछाल
व्यापारियों का कहना है कि आयातित दालों की अच्छी उपलब्धता से फिलहाल उनकी कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी की संभावना नहीं है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक महीने में कई राज्यों में टमाटर की कीमतों में 25-50 फीसदी तक उछाल आया है. हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ की वजह से उत्तर भारत में टमाटर 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है. सोमवार और मंगलवार को महाराष्ट्र, तटीय कर्नाटक और गुजरात के बड़े हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई, जिससे सोयाबीन, कपास, उड़द, तूअर, फल और सब्जियों की फसलों को नुकसान पहुंचा है. महाराष्ट्र के 19 जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है.
प्याज की कीमत में बढ़ोतरी
बेंगलुरु के प्याज व्यापारी एस. आनंदन ने कहा कि पिछले हफ्ते की तुलना में प्याज के दामों में बढ़ोतरी हुई है. इसकी वजह है बांग्लादेश को निर्यात बढ़ने की उम्मीद है. हालांकि, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से आने वाली खरीफ फसल पर हुई बारिश का असली असर अभी साफ नहीं है. उन्होंने कहा कि चित्रदुर्गा जिले में प्याज की फसल को थोड़ा नुकसान हुआ है. लेकिन अब बारिश कम हो गई है, जिससे आगे की फसल की उम्मीदें बेहतर हुई हैं.
दक्षिण भारत में खरीफ फसल प्रभावित
आमतौर पर अगस्त और सितंबर की बारिश दक्षिण भारत की खरीफ फसल को प्रभावित करती है, जिससे प्याज के दाम बढ़ जाते हैं. लेकिन इस साल हालात थोड़े अलग हैं. हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि इस बार किसान प्याज स्टॉक करके रखे हुए हैं और निर्यात की मांग भी कमजोर है. फसल पर बारिश का असली असर क्या हुआ है, ये समझने में अभी 8-10 दिन लगेंगे.