महाराष्ट्र में बारिश से भारी नुकसान, खेतों में कटी प्याज की फसल 15 फीसदी तक बर्बाद

पुणे जिले के प्याज किसानों को अचानक बारिश से भारी नुकसान हुआ है. कटी फसल भीगने से 10-15 फीसदी नुकसान की आशंका है. इस बार उत्पादन अच्छा रहा, लेकिन भंडारण की कमी और मंडी तक पहुंचने में मुश्किलें रहीं.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Published: 11 May, 2025 | 11:56 AM

महाराष्ट्र में बारिश से प्याज की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. खास कर पुणे जिले के जुन्‍नर, अंबेगांव, शिरूर और दौंड तहसीलों के प्याज किसानों को बारिश से भारी परेशानी झेलनी पड़ी. कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, कई किसानों की कटी हुई प्याज की फसल खेत में ही बारिश में भीग गई, क्योंकि वे इसे मंडी तक नहीं ले जा सके. साथ ही किसानों के पास सुरक्षित भंडारण की कोई सुविधा नहीं थी. ऐसे में किसानों को सरकार से मुआवजे की आस है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दौंड के नांदगांव गांव के किसान सखाराम काले ने कहा कि प्याज को बोरियों में भरकर सुरक्षित जगह ले जाना आसान नहीं है, क्योंकि इसमें कई घंटे लगते हैं. हमें 10 से 15 फीसदी तक नुकसान होने की संभावना है. अब जबकि फसल कटाई का आखिरी दौर चल रहा है, आने वाले दिनों में और किसानों को इस तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. भारत मौसम विभाग ने पुणे जिले के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश दर्ज की है और आगे भी हल्की बारिश की संभावना जताई है.

20 मई से पहले फसल की कटाई पूरी

एक किसान ने कहा कि अब हमें मॉनसून शुरू होने से पहले ही प्याज उखाड़नी होगी, नहीं तो और नुकसान हो सकता है. शिरूर के उरलगांव के किसान सागर होलगुंडे ने कहा कि हर साल मई के आखिरी दो हफ्तों में प्री-मॉनसून की बारिश होती है. हमारी कोशिश है कि 20 मई से पहले फसल की कटाई पूरी कर लें. कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पुणे ग्रामीण इलाके में करीब 80 फीसदी प्याज की कटाई पूरी हो चुकी है. इस बार प्याज का सीजन काफी अच्छा रहा है.

पिछले साल की तुलना में बेहतर उत्पादन

तहसील अधिकारियों से मिले फीडबैक के अनुसार, किसानों को पिछले साल की तुलना में बेहतर उत्पादन मिला है. इसका मुख्य कारण है पिछले साल अच्छी बारिश और अनुकूल मौसम है. इस साल जिले में 70,000 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में प्याज की खेती हुई. जिले के कृषि अधिकारी संजय कचोले ने कहा कि पिछले दो सालों में बारिश की कमी के कारण किसानों को प्याज बोने में दिक्कतें हुई थीं. लेकिन इस बार मौसम किसानों के अनुकूल रहा, जिससे खेती का रकबा भी बढ़ा.

55,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती

आमतौर पर जिले में 55,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती होती है. पिछले साल किसानों को अच्छे दाम मिले थे, इसलिए इस बार भी उम्मीद ज्यादा थी. खेड़ के सामाजिक कार्यकर्ता शांताराम सरवडे ने कहा कि ज्यादातर किसान अपना प्याज स्थानीय कृषि उपज मंडी समिति (APMC) में लाते हैं और नीलामी के जरिए बेचते हैं. बहुत कम किसान सीधे बिक्री करते हैं, क्योंकि APMC में कीमतें दलालों और व्यापारियों द्वारा तय की जाती हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%