भारत के बासमती को दोहरी चोट, निर्यात में कमी और धोखाधड़ी से पाकिस्तान को मिल रहा फायदा
अमेरिकी प्रशासन ने अगस्त में बासमती पर अतिरिक्त शुल्क बढ़ाकर 25 फीसदी से 50 फीसदी कर दिया है. वहीं, पाकिस्तान को केवल 19 फीसदी शुल्क देना पड़ता है. इससे भारत के लिए अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखना कठिन हो जाएगा.
बासमती चावल न सिर्फ स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता है, बल्कि यह भारत के लिए विदेशी मुद्रा का एक बड़ा स्रोत भी है. दुनिया के कई देशों में भारत के बासमती चावल की मांग हमेशा से रही है. लेकिन हाल ही में भारत को बासमती निर्यात में दो बड़े झटके लगे हैं, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था और वैश्विक पहचान पर असर डाला है. पहला झटका अमेरिका को निर्यात में कमी और दूसरा झटका हमारे ही व्यापारियों की गैर-जिम्मेदारी से आया. आइए विस्तार से जानते हैं कि क्या हुआ और इससे भारत को कैसे नुकसान और पाकिस्तान को कैसे फायदा हुआ.
निर्यात में 13 फीसदी की गिरावट
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, इस वित्त वर्ष के अप्रैल-जुलाई में अमेरिका को बासमती निर्यात लगभग 13 फीसदी घटकर 78,000 टन रह गया. पिछले साल इसी अवधि में निर्यात 90,000 टन था. अमेरिकी प्रशासन ने अगस्त में बासमती पर अतिरिक्त शुल्क बढ़ाकर 25 फीसदी से 50 फीसदी कर दिया है. वहीं, पाकिस्तान को केवल 19 फीसदी शुल्क देना पड़ता है. इससे भारत के लिए अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखना कठिन हो जाएगा. अमेरिका बासमती का सबसे बड़ा लाभदायक बाजार है, और यहां पर निर्यात के दाम भी सबसे अधिक थे, लगभग 1,230 डॉलर प्रति टन.
भारतीय व्यापारियों का धोखा
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सभी प्रकार के सामानों के आयात और पारगमन पर रोक लगा दी थी. बावजूद इसके कुछ भारतीय स्वामित्व वाली कंपनियों ने पाकिस्तान से बासमती मंगवाकर यूरोप और अन्य देशों में भेजा. ग्लोबल एक्सपोर्ट-इंपोर्ट डेटा के अनुसार, 14,300 टन बासमती चावल मई-जून में पाकिस्तान से खरीदकर यूरोप भेजा गया. यह कदम केवल आर्थिक नहीं, बल्कि नैतिक और राष्ट्रीय हित के नजरिए से भी चिंता का विषय है.
नैतिक और राष्ट्रीय हित के सवाल
बासमती चावल की खरीद-फरोख्त सिर्फ व्यापार का मामला नहीं है, बल्कि इससे नैतिक और राष्ट्रीय हित जुड़ा हुआ है. भारतीय कंपनियों की इस गतिविधि ने पाकिस्तान को विदेशी मुद्रा कमाने का अवसर दिया. भारत ने 2023 में बासमती पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) तय किया था, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान से खरीदारी तीन गुना बढ़ गई. इतिहास गवाह है कि 1965 के युद्ध और कई अन्य घटनाओं के बाद भारत ने पाकिस्तान से आर्थिक रिश्ते कम किए थे. फिर भी हालिया घटनाओं के बाद कुछ कंपनियों की पाकिस्तान से खरीदारी चिंता बढ़ाती है.
चीन बना विकल्प
अमेरिकी बाजार घटने के बाद भारत ने चीन को नया संभावित निर्यात विकल्प मानना शुरू किया है. चीन ने 2024-25 में भारत से 5,834 टन बासमती खरीदा, जो पिछले साल 3,293 टन था. भारत-चीन संबंधों में हालिया नरमी के बावजूद निर्यातक चीन को संभावित बड़ा बाजार मान रहे हैं. अमेरिका के मुकाबले चीन को दाम थोड़े कम थे, लगभग 1,095 डॉलर प्रति टन, लेकिन यह बाजार विस्तार के लिए महत्वपूर्ण है.
पाकिस्तान से आपूर्ति का खतरा
अमेरिका में 50 फीसदी शुल्क लागू होने के बाद संभावना है कि कुछ अमेरिकी खरीदार पाकिस्तान से बासमती मंगवाएं. पहले से ही यूरोप के कुछ हिस्सों में पाकिस्तान से बासमती की आपूर्ति बढ़ रही है. इससे भारत के वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी पर चुनौती बढ़ सकती है. इसके अलावा, पाकिस्तान से बासमती का निर्यात भारत के GI टैग और ब्रांड वैल्यू को भी प्रभावित कर सकता है.