गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर नया नियम लागू, जानिए अब क्या करना होगा

भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है. इसमें गैर-बासमती चावल की बड़ी मांग अफ्रीकी और एशियाई देशों में है. यह सस्ता होने के साथ-साथ बड़ी मात्रा में लोगों की खपत को पूरा करता है. लेकिन अब चावल निर्यात करने के लिए नियम बदल गए हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Sep, 2025 | 12:29 PM

Rice Export: भारत सरकार ने गैर-बासमती चावल (Non-Basmati Rice) के निर्यात को लेकर बड़ा कदम उठाया है. अब से इस चावल का एक्सपोर्ट तभी संभव होगा जब एक्सपोर्टर (Exporter) कृषि और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के साथ रजिस्ट्रेशन कराएंगे. इसका उद्देश्य न केवल निर्यात प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है, बल्कि किसानों और व्यापारियों दोनों को सीधे लाभ पहुंचाना भी है.

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इसके लिए नया नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके तहत अब किसी भी व्यापारी को गैर-बासमती चावल का निर्यात करने से पहले अपने एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट को एपीडा के साथ रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा. इसके बिना निर्यात की अनुमति नहीं मिलेगी. यह नियम विशेष रूप से यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय चावल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में विश्वसनीयता बनी रहे और निर्यात प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी न हो.

गैर-बासमती चावल की बड़ी मांग अफ्रीकी और एशियाई देशों में है.

एपीडा क्या है?

एपीडा यानी Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority, भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अधीन कार्य करता है. इसका मुख्य काम कृषि और खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करना है. अब गैर-बासमती चावल का निर्यात भी सीधे एपीडा रजिस्ट्रेशन से जुड़ गया है.

सूचना के अनुसार, गैर-बासमती चावल (ITC HS Code 1006 3011, 1006 3019, 1006 3091, 1006 3099, 1006 4000) फ्री पॉलिसी के तहत निर्यात किया जा सकेगा. लेकिन इसके लिए हर एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट को एपीडा के साथ रजिस्टर कराना अनिवार्य है. यह कदम किसानों और निर्यातकों के हित में पारदर्शिता लाएगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के चावल की प्रतिष्ठा को और मजबूत करेगा.

भारत में गैर-बासमती चावल की अहमियत

भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है. इसमें गैर-बासमती चावल की बड़ी मांग अफ्रीकी और एशियाई देशों में है. यह सस्ता होने के साथ-साथ बड़ी मात्रा में लोगों की खपत को पूरा करता है. विदेशी बाजार में इस चावल की मांग के कारण भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है.

किसानों और व्यापारियों के लिए फायदा

इस नई शर्त से किसानों और व्यापारियों दोनों को फायदा होगा. किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य मिलेगा और व्यापारियों के लिए एक्सपोर्ट प्रक्रिया सरल और ट्रांसपेरेंट होगी. एपीडा के रजिस्ट्रेशन से यह सुनिश्चित होगा कि सभी निर्यात अनुबंध सही ढंग से दर्ज हों और किसी भी स्तर पर गड़बड़ी न हो.

सरकार का यह कदम भारतीय कृषि निर्यात को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस नई प्रक्रिया से भारत के चावल का निर्यात बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों की विश्वसनीयता और बढ़ेगी.

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