Animal Disease : अगर आपके पास गाय, भैंस या बकरी जैसे पशु हैं, तो उनका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. क्योंकि एक बीमार पशु न केवल कम दूध देता है, बल्कि कई बार पूरी आमदनी पर भी असर डाल देता है. ऐसे में हर पशुपालक को अपने पशुओं की सेहत पर नजर रखनी चाहिए. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप अपने पशु की बीमारी को समय रहते पहचान सकते हैं और उससे बचाव कर सकते हैं.
कैसे समझें आपका पशु बीमार है?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पशु इंसानों की तरह बोल नहीं सकते, इसलिए उनके हावभाव और चाल-ढाल से ही बीमारी का पता लगाया जा सकता है. अगर आपका पशु सामान्य से अलग तरीके से चल रहा है या सुस्त पड़ा रहता है, तो समझिए कुछ गड़बड़ है. इसके अलावा, अगर वह चारा कम खा रहा है या जुगाली नहीं कर रहा, तो यह बीमारी का शुरुआती संकेत है. बीमार पशुओं में दूध की मात्रा भी घटने लगती है और उनकी आंखों में चमक खो जाती है.
शरीर के लक्षणों से पहचानें बीमारी
अगर पशु की त्वचा सूखी हो गई है, शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा या कम है, या सांस लेने में दिक्कत हो रही है– तो ये भी बीमारी के संकेत हैं. नाक, कान या आंखों से पानी आना, या कभी-कभी झाग जैसा पदार्थ निकलना भी संक्रमण का संकेत होता है. कुछ पशु लंगड़ाकर चलने लगते हैं, जिससे समझ आता है कि उन्हें जोड़ों या पैरों में दर्द है. अगर अचानक वजन कम हो जाए या पशु थूक सूखा दे, तो तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए.
बदलते मौसम में बढ़ता है खतरा
अक्सर देखा गया है कि सर्दी या बरसात के मौसम में पशुओं में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इस दौरान पशु जल्दी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं. खासकर अगर उनका रहने का स्थान गंदा या नमी भरा हो तो. इसलिए मौसम बदलने के समय विशेष ध्यान देना जरूरी है–पशुओं को सूखे, साफ और हवादार स्थान पर रखें. उनके खाने–पीने के बर्तन रोज धोएं और गंदगी से दूर रखें.
बीमार पशुओं की देखभाल और बचाव
अगर किसी पशु में बीमारी के लक्षण दिखें, तो उसे तुरंत स्वस्थ पशुओं से अलग कर दें. ऐसे पशु को डॉक्टर की सलाह से टीका लगवाएं और दवा दें. बीमार पशु को छूने या दूध निकालने के बाद हाथ और मुंह साबुन से जरूर धोएं. जहां बीमार पशु रखा गया हो, वहां ब्लीचिंग पाउडर या सोडियम कार्बोनेट का छिड़काव करें ताकि संक्रमण फैल न सके. पशु का बर्तन और बिछावन रोज बदलें, ताकि सफाई बनी रहे.
स्वस्थ पशु मतलब अधिक कमाई
एक स्वस्थ पशु ही किसान को ज्यादा दूध, मांस या श्रम दे सकता है. अगर किसान समय रहते बीमारी की पहचान कर ले, तो न केवल पशु को बचाया जा सकता है बल्कि नुकसान से भी बचा जा सकता है. टीकाकरण, साफ–सफाई और पौष्टिक आहार से पशु लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं. याद रखें–रोकथाम इलाज से बेहतर है, इसलिए हर पशुपालक को साल में एक बार पशु चिकित्सक से जांच जरूर करवानी चाहिए.