गन्ना खेती में चीन की तकनीक-मेथड अपनाएंगे किसान, नई किस्मों पर रिसर्च के लिए ISMA का गुआंग्शी गन्ना संस्थान से करार

इस्मा ने कहा कि चीन के गन्ना संस्थान के साथ सहयोग से देश में गन्ना का उत्पादन, गन्ना फसल में रोग और जलवायु बदलाव से पैदा होने वाली चुनौतियों का समाधान करने के प्रयासों में तेजी आएगी. यह समझौता भारत के दीर्घकालिक नजरिए के अनुरूप भी है, जिसमें लगातार चीनी और जैव ऊर्जा उत्पादन पक्का करना, किसानों की कमाई में बढ़ोत्तरी करना और गन्ने की बेहतर उपलब्धता के जरिए राष्ट्रीय इथेनॉल मिश्रण टारगेट को मजबूत करना शामिल है.

नोएडा | Published: 17 Nov, 2025 | 02:08 PM

भारत में गन्ना की खेती और नई किस्मों पर रिसर्च के साथ विकास के लिए इस्मा ने चीन के गन्ना अनुसंधान संस्थान के साथ करार किया है. इस्मा ने कहा है कि गन्ना प्रजनन और उत्पादन बढ़ाने में सहयोग के साथ रिसर्च को मजबूत करने के लिए गन्ना अनुसंधान संस्थान गुआंग्शी कृषि विज्ञान अकादमी नाननिंग चीन के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.

केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव (चीनी) अश्विनी श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय चीनी एवं जैव ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) के साथ एक रणनीतिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. गन्ना अनुसंधान संस्थान गुआंग्शी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गन्ना अनुसंधान का अग्रणी केंद्र है और इसमें कई प्रमुख प्रयोगशालाएं हैं, जिनमें गुआंग्शी प्रमुख गन्ना आनुवंशिक सुधार प्रयोगशाला और गन्ना जैव प्रौद्योगिकी एवं आनुवंशिक सुधार प्रयोगशाला (गुआंग्शी) शामिल हैं.

इस्मा ने कहा कि यह सहयोग संयुक्त गन्ना अनुसंधान, विकास, प्रशिक्षण और ज्ञान, प्रौद्योगिकी ट्रांसफर के प्रसार और भारत में गन्ना उत्पादकता, टिकाऊ और स्थिरता बढ़ाने के उद्देश्य से आधुनिक प्रजनन उपकरणों की शुरूआत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

इस्मा के साथ मिलकर ये काम करेगा चीन का गन्ना अनुसंधान संस्थान

समझौता ज्ञापन के तहत, इस्मा और गन्ना अनुसंधान संस्थान गुआंग्शी, नाननिंग इन प्रमुख क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे-

  1. उत्पादकता बढ़ोत्तरी, गन्ना किस्मों में सुधार और प्रमुख कृषि संबंधी चुनौतियों के समाधान पर केंद्रित संयुक्त गन्ना अनुसंधान होगा.
  2. आशाजनक क्लोनों के मूल्यांकन सहित सहयोगात्मक किस्म विकास पर काम होगा.
  3. कार्यशालाओं, विशेषज्ञ दौरों और व्यावहारिक शिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से वैज्ञानिकों, क्षेत्रीय कर्मचारियों और तकनीकी टीमों के लिए ट्रेनिंग और क्षमता निर्माण किया जाएगा.
  4. क्षेत्र और कारखाने स्तर पर बेहतर तकनीकों को अपनाने में सहायता के लिए नॉलेज और बेस्ट प्रैक्टिस का प्रसार किया जाएगा.
  5. तेज बीज गुणन, रोग मुक्त रोपाई सामग्री और आधुनिक कृषि संबंधी मदद के लिए कार्यप्रणाली सहित टेक्नोलॉजी का आदान-प्रदान होगा.
  6. आणविक प्रजनन, जीनोमिक चयन और मॉडर्न बायो टेक्नोलॉजी के नजरिए जैसे आधुनिक प्रजनन उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा.
  7. गन्ना क्षेत्र के लंबे समय तक लगातार विकास को समर्थन देने के लिए संस्थानों के बीच अनुसंधान संबंधों को मजबूत किया जाएगा.

गन्ना खेती के विकास के लिए कई बिंदुओं पर काम होगा

ISMA ने कहा कि यह साझेदारी भारत के गन्ना क्षेत्र में वैश्विक वैज्ञानिक विशेषज्ञता लाने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है. SRI (GXAAS) के साथ सहयोग से गन्ना कृषि के विभिन्न पहलुओं जैसे प्रजनन, जैव प्रौद्योगिकी, फसल उत्पादन, फसल संरक्षण, उपज, सुक्रोज सामग्री, रोग प्रतिरोधक क्षमता और अजैविक तनाव सहनशीलता जैसे व्यावसायिक रूप से अहम लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करते हुए काम किया जाएगा. इन कामों के लिए चीन का गन्ना संस्थान प्रसिद्ध है.

गन्ना फसल चुनौतियों से निपटने में आसानी होगी

इस्मा ने कहा कि चीन के गन्ना संस्थान के साथ सहयोग से देश में गन्ना का उत्पादन, गन्ना फसल में रोग और जलवायु बदलाव से पैदा होने वाली चुनौतियों का समाधान करने के प्रयासों में तेजी आएगी. यह समझौता भारत के दीर्घकालिक नजरिए के अनुरूप भी है, जिसमें लगातार चीनी और जैव ऊर्जा उत्पादन पक्का करना, किसानों की कमाई में बढ़ोत्तरी करना और गन्ने की बेहतर उपलब्धता के जरिए राष्ट्रीय इथेनॉल मिश्रण टारगेट को मजबूत करना शामिल है.

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