सरकार का ‘दाल मिशन’, तो क्‍या सच में दूसरे देशों से आयात बंद कर पाएगा भारत? 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया. इसमें उन्‍होंने उत्पादन को बढ़ावा देने और दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद के लिए एक नए छह साल के मिशन की घोषणा की.

Kisan India
Agra | Published: 6 Mar, 2025 | 09:00 AM

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया. इसमें उन्‍होंने उत्पादन को बढ़ावा देने और दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद के लिए एक नए छह साल के मिशन की घोषणा की. इसमें मुख्‍य तौर पर तीन प्रमुख ज्‍यादा खपत वाली किस्मों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. बजट में निर्धारित मिशन के मुख्य उद्देश्य के अनुसार, इस कार्यक्रम में जलवायु-अनुकूल बीजों का विकास, उत्पादकों के लिए लाभकारी मूल्य और फसल के बाद मैनेजमेंट के साथ-साथ इनके स्‍टोरेज पर भी ध्‍यान दिया जाएगा. 

आयात की निर्भरता को खत्‍म करना 

सीतारमण ने इस बार लगातार आठवां और मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया. उन्‍होंने कहा,’हमारी सरकार अब दलहन में आत्मनिर्भरता के लिए छह साल का मिशन शुरू करेगी. इसमें तुअर (अरहर), उड़द (काला चना) और मसूर (पीली दाल) पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.’ उन्‍होंने जानकारी दी कि इन केंद्रीय एजेंसियों के साथ ​​रजिस्‍ट्रेशन कराने वाले और समझौते करने वाले किसानों से अगले चार सालों में तीन दालों की खरीद के लिए पेशकश की जाएगी. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को जो एक मुख्‍य लक्ष्‍य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से दिया गया है उसमें साल 2029 तक देश की दालों की मांग को पूरा करने के लिए आयात पर भारत की निर्भरता को खत्‍म करना है. 

शाह ने किया था एक वादा 

पिछले साल चार जनवरी को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य घोषित किया था. इसके तहत भारत साल 2028-29 तक दालों का आयात बंद कर देगा. शाह ने नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नेफेड) की तरफ से अरहर (तुअर) खरीदने के कार्यक्रम की शुरुआत की थी. तब शाह ने कहा था  कि दिसंबर 2027 तक देश को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करनी चाहिए. साथ ही उन्‍होंने वादा किया कि जनवरी 2028 से सरकार एक किलो दाल का भी आयात नहीं करेगी. 

लगातार महंगी होती दाल 

दाल ज्‍यादातर भारतीयों के लिए प्रोटीन का एक सामान्य स्रोत है. लेकिन पिछले साल अल नीनो मौसमी पैटर्न के कारण दालों की कीमतों में जबरदस्‍त इजाफा हुआ. जबकि साल 2015-16 के बाद से कुल घरेलू उत्पादन में 37 फीसदी की वृद्धि हुई है. इससे भारत को पहले ही आयात में कटौती करने में मदद मिली है. लेकिन इसके बाद भी दालों में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया और कीमतें ऊंची बनी हुई हैं. पिछले साल दालों में महंगाई करीब 17 फीसदी तक बढ़ी. इसका मुख्य कारण लगातार दो वर्षों से खराब मौसम और खराब मानसून के कारण कम उत्पादन था. 

कितनी दाल हुई आयात 

पिछले वित्त वर्ष में आयात में साल 2022-2023 की तुलना में 84 फीसदी का इजाफा हुआ. यह 4.65 मिलियन टन पर पहुंच गया जो पिछले छह वर्षों में सबसे ज्‍यादा है. वहीं इस आयात पर देश का खर्च 93 फीसदी बढ़कर 3.75 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. भारत मुख्य तौर पर कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार, मोजाम्बिक, तंजानिया, सूडान और मलावी से आयात करता है.  

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Published: 6 Mar, 2025 | 09:00 AM

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