e-NAM पर किसानों को नहीं मिल रहा लाभ, कृषि व्यापार में आई 70 फीसदी की गिरावट

ई-नाम का एक बड़ा मकसद यह भी था कि किसान अपने खेत से सीधे खरीददार को उपज बेच सकें, लेकिन ये सपना भी अधूरा है. इस साल की पहली तिमाही में फार्मगेट सेल यानी खेत से सीधी बिक्री केवल 11.3 करोड़ रुपये की रही. जबकि पिछले पूरे वित्त वर्ष में यह बिक्री 63 करोड़ रही.

नई दिल्ली | Updated On: 14 Jul, 2025 | 10:01 AM

देश के किसानों के लिए एक साझा और डिजिटल बाजार तैयार करने की जो उम्मीद ई-नाम (e-NAM) के जरिए की गई थी, वो अब लड़खड़ाती नजर आ रही है. वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच ई-नाम प्लेटफॉर्म पर अंतरराज्यीय व्यापार में करीब 70 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई है. ये वही प्लेटफॉर्म है, जिसे 2016 में लॉन्च किया गया था ताकि देशभर के किसानों को मंडी की सीमाओं से बाहर जाकर भी बेहतर दाम मिल सकें.

लाखों किसानों को जोड़ा, लेकिन सीमाओं में ही सिमट गया व्यापार

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ई-नाम प्लेटफॉर्म से अब तक देशभर की 1500 से ज्यादा मंडियों को डिजिटल रूप से जोड़ा जा चुका है. लगभग 1.79 करोड़ किसान, 4,518 एफपीओ, करीब 2.67 लाख व्यापारी और एक लाख से अधिक कमीशन एजेंट इससे जुड़ चुके हैं. फिर भी, प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल ज्यादातर स्थानीय मंडियों के भीतर ही सीमित रहा है. इसका मतलब है कि अधिकांश लेनदेन एक ही मंडी के अंदर या फिर राज्य की सीमाओं के भीतर होता है, जबकि राज्य से राज्य के बीच का व्यापार अभी भी बेहद कमजोर है.

अंतरराज्यीय व्यापार में तेज गिरावट

साल 2024-25 की पहली तिमाही में जहां अंतरराज्यीय व्यापार 7.65 करोड़ रुपये का था, वहीं इस साल की पहली तिमाही में ये घटकर सिर्फ 2.92 करोड़ रुपये रह गया. पिछले पूरे साल में भी यह व्यापार घटकर 21 करोड़ रह गया था, जबकि 2023-24 में यह 42 करोड़ रुपये था. यानी गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है.

मंडी से मंडी के बीच व्यापार की भी सीमित रफ्तार

राज्य के अंदर एक मंडी से दूसरी मंडी के बीच होने वाला व्यापार भी कुछ खास नहीं बढ़ा. इस साल की पहली तिमाही में यह व्यापार 4 फीसदी बढ़कर 445 करोड़ रुपये रहा, लेकिन यह हिस्सा भी कुल व्यापार का बहुत छोटा भाग है. अभी तक ई-नाम पर कुल 4.39 लाख करोड़ रुपये का व्यापार दर्ज किया गया है, जिसमें से सिर्फ 5,916 करोड़ रुपये ही मंडियों के बीच हुआ है.

किसानों को नहीं मिल रही सीधी बिक्री की सुविधा

ई-नाम का एक बड़ा मकसद यह भी था कि किसान अपने खेत से सीधे खरीददार को उपज बेच सकें, लेकिन ये सपना भी अधूरा है. इस साल की पहली तिमाही में फार्मगेट सेल यानी खेत से सीधी बिक्री केवल 11.3 करोड़ रुपये की रही. जबकि पिछले पूरे वित्त वर्ष में यह बिक्री 63 करोड़ रही, जो साल 2023-24 में 94 करोड़ रुपये थी.

विशेषज्ञों ने बताई सिस्टम की कमजोरियां

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक अंतरराज्यीय व्यापार और मंडी से मंडी के बीच वास्तविक लेनदेन नहीं बढ़ेगा, तब तक किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलना मुश्किल रहेगा. इससे ई-नाम जैसी योजनाओं की प्रभावशीलता पर सवाल उठते हैं.

Published: 14 Jul, 2025 | 09:57 AM

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