गरीबों का राशन नहीं रुकेगा, खाद्य सब्सिडी में की गई 7,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी

सरकार का यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत करीब 81 करोड़ लोगों को हर महीने मुफ्त खाद्यान्न (चावल, गेहूं और दाल) दिया जाता है. वित्त मंत्रालय के इस निर्णय के बाद साफ है कि आने वाले महीनों में मुफ्त राशन योजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

नई दिल्ली | Published: 8 Nov, 2025 | 11:48 AM

Food subsidy: देश के करोड़ों गरीब परिवारों को राहत देने वाली मुफ्त राशन योजना अब और मजबूत होने जा रही है. केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खाद्य सब्सिडी (Food Subsidy) में 7,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मंजूर की है. इससे अब कुल खाद्य सब्सिडी बजट बढ़कर 2.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है. यह राशि भारतीय खाद्य निगम (FCI) को दी जाएगी ताकि अनाज प्रबंधन और वितरण की बढ़ती लागत को पूरा किया जा सके.

मुफ्त राशन योजना रहेगी जारी

सरकार का यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत करीब 81 करोड़ लोगों को हर महीने मुफ्त खाद्यान्न (चावल, गेहूं और दाल) दिया जाता है. वित्त मंत्रालय के इस निर्णय के बाद साफ है कि आने वाले महीनों में मुफ्त राशन योजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बढ़ती लागत और कर राजस्व में कमी के बावजूद सरकार ने आम लोगों के लिए राहत बरकरार रखी है.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि यह अतिरिक्त फंड FCI के अनाज भंडारण, परिवहन और वितरण खर्चों को पूरा करने में मदद करेगा. हाल ही में भारी बारिश और बढ़े हुए भंडारण खर्च के चलते FCI को अतिरिक्त राशि की जरूरत महसूस हुई थी.

सरकार पर बढ़ा वित्तीय दबाव

हालांकि, सरकार पर सब्सिडी का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. पहले से तय बजट 2.03 लाख करोड़ रुपये को बढ़ाकर अब 2.1 लाख करोड़ रुपये किया गया है. वहीं, अगले वित्त वर्ष 2026-27 के लिए खाद्य सब्सिडी का बजट लगभग 2.17 लाख करोड़ रुपये रखने की योजना है.

वित्त मंत्रालय का कहना है कि कर राजस्व में कमी, आयकर छूट और GST कटौती के बावजूद राजकोषीय घाटा लक्ष्य 4.4 फीसदीपर ही रखा जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी स्पष्ट किया कि गरीबों की योजनाओं पर किसी तरह की कटौती नहीं की जाएगी.

FCI की बढ़ती जिम्मेदारी

भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से ही देश के 70 प्रतिशत से अधिक खाद्यान्न सब्सिडी योजनाएं चलाई जाती हैं. इस वर्ष FCI ने अपनी अनुमानित लागत को 1.43 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.72 लाख करोड़ रुपये कर दिया है, क्योंकि गोदामों में चावल और गेहूं का स्टॉक जरूरत से तीन गुना ज्यादा है. अभी एफसीआई के पास 44 मिलियन टन से अधिक चावल का भंडार है, जबकि अक्टूबर के लिए तय बफर स्टॉक 10.25 मिलियन टन ही है. इसमें लगभग 10 मिलियन टन अनाज ऐसा भी है जो अभी मिलरों से प्राप्त होना बाकी है.

सरकार ने FCI को जरूरत पड़ने पर नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड (NSSF) से लोन लेने की अनुमति भी दी है, ताकि आखिरी तिमाही में फंड की कमी पूरी की जा सके.

किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा

खाद्य सब्सिडी में यह बढ़ोतरी केवल उपभोक्ताओं के लिए राहत नहीं है, बल्कि किसानों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है. सरकार हर साल धान और गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 3 फीसदीसे 7 फीसदीतक बढ़ाती रही है, जिससे किसानों को उचित दाम मिल सके. इस नीति के चलते देश में अनाज का उत्पादन और भंडार दोनों बढ़े हैं.

हालांकि, सरकार अब FCI के अतिरिक्त स्टॉक को कम करने और खुले बाजार में बिक्री की प्रक्रिया को तेज करने पर भी विचार कर रही है. इसका उद्देश्य सब्सिडी के बोझ को कम करना और अनाज का बेहतर प्रबंधन करना है.

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