Paddy Farming: देशभर में धान की खेती करने वाले किसानों के लिए ये समय बेहद ही महत्वपूर्ण है. ये समय धान की बालियों में दाने भरने का है और ज्यादातर हिस्सों में किसानों की धान की फसल लहलहा रही है. ये वो समय है जब किसानों की महीनों की मेहनत से उगाई गई फसल अब तैयार होने लगी है. लेकिन लहलहाती हुई फसलों में इस मौसम में गंधी बग कीट (Stink Bug) कीट का हमला होने का खतरा भी बढ़ जाता है. ये कीट किसानों के लिए सबसे बड़ा दुश्मन है, जो धान की फसल पर तब हमला करता है जब फसल में दाने भर रहे होते हैं. इस कीट के प्रभाव से न केवल फसल बर्बाद होती है बल्कि किसानों के सामने भी गहरा संकट खड़ा हो जाता है.
इन लक्षणों से होती है गंधी बग की पहचान
किसान अगर समय रहते गंधी बग कीट (Stink Bug) की पहचान कर लें तो धान की फसल को इस कीट से बचाया जा सकता है. इस कीट की पहचान कई तरह से की जा सकती है. इस कीट के संक्रमण के कारण कच्चे धान के दानों का रंग फीका और झुलसा हुआ दिखने लगता है. साथ ही पौधों पर छोटे भूरे या काले रंग के कीट भी दिखने लगते हैं. अकसर ऐसा होता है कि इस कीट के प्रकोप से दाने झुलस या सूख जाते हैं जिसके कारण बालियां खाली या हल्की हो जाती हैं. इसके अलावा जैसा कि इस कीट का नाम है गंधी बग वैसे ही इसके संक्रमण पर पौधों के पास जाने से तेज दुर्गंध महसूस होती है.
इन उपायों से करें फसल का बचाव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, धान की फसल को गंधी बग कीट से बचाने के लिए किसान कुछ आसान से उपाय कर सकते हैं. आम तौर पर ये कीट सुबह या शाम के समय एक्टिव होते हैं इसलिए बेहतर होगा कि किसान इन दो समयों पर खेत का निरक्षण कर पत्तियों और बालियों की जांच करें. साथ ही खेत के पास पीली लाइट ट्रैप (Yellow Light Trap) लगाएं. ये कीट इस ट्रैप की तरफ आकर्षित होकर इनमें फंसकर मर जाते हैं. किसान चाहें तो प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर नीम तेल (Neem Oil) मिलाकर फसल पर उसके घोल का भी छिड़काव कर सकते हैं. साथ ही ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक कीटनाशक (Organic Pesticides) का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
केमिकल कीटनाशकों का इस्तेमाल
धान की फसल (Paddy Crop) में अगर गंधी बग कीट का संक्रमण बहुत ज्यादा हो गया है तो किसान फसल की सुरक्षा के लिए केमिकल कीटनाशकों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. अगर प्रकोप बहुत ज्यादा है तो प्रति लीटर पानी में 0.3 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL का छिड़काव कर सकते हैं या फिर प्रति लीटर पानी में 2 मीलीलीटर क्लोरोपायरीफॉस 20 EC को मिलाकर फसल पर इस दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं. किसानों को खास तौर पर ये सलाह दी जाती है कि वे इन केमिकल कीटनाशकों का छिड़काव करते समय सभी जरूरी सावधानियां बरतें और कोशिश करें कि छिड़काव शाम के समय ही करें.