Dairy Farming: हरियाणा के भिवानी जिले में श्राद्ध अमावस्या पर हुआ एक दर्दनाक हादसा समाज के लिए एक बड़ा सबक बन गया है. धार्मिक आस्था के चलते श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में बेसहारा गायों को खीर, पूरी, हलवा और अन्य पकवान खिलाए. लेकिन यही प्रसाद कई गायों की जान पर भारी पड़ गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, जिले में कुल 48 गायें बीमार हो गईं जिनमें से 17 की मौत हो चुकी है, जबकि 31 गायों को इलाज के बाद मुश्किल से बचाया जा सका. मृत गायों में 13 भिवानी क्षेत्र की और 4 बवानीखेड़ा इलाके की थीं. ग्रामीण क्षेत्रों से भी लगातार बीमार और मृत गायों की खबरें आती रहीं, जिससे प्रशासन और स्थानीय लोग चिंता में पड़ गए.
आस्था के नाम पर अनजानी गलती
हममें से कई लोग पुण्य कमाने और गायों को खुश करने के लिए उन्हें मीठे और तले-भुने पकवान खिलाते हैं. खीर, पूरी, हलवा या पकौड़े जैसी चीजें हमें तो स्वादिष्ट लगती हैं, लेकिन गायों के शरीर के लिए ये बेहद खतरनाक साबित हो सकती हैं. अक्सर लोग यह सोचते हैं कि थोड़ी-बहुत मिठाई या पूरी खिलाने से कोई नुकसान नहीं होगा, पर असल में यह उनके पाचन तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.
पाचन तंत्र पर भारी असर
गायों का पाचन तंत्र इंसानों से बिल्कुल अलग होता है. उनका शरीर हरी घास, सूखा चारा और पौष्टिक अनाज को पचाने के लिए बना है. खीर, पूरी और हलवा जैसे भारी और तैलीय खाद्य पदार्थ गायों के लिए पचाना मुश्किल होता है. इससे पेट में गैस, जलन, दस्त और पेट फूलने जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ सकती हैं. कई मामलों में यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है.
दूध की गुणवत्ता और सेहत पर खतरा
मीठा और तला हुआ खाना केवल पाचन को ही नहीं बिगाड़ता, बल्कि गायों के दूध की गुणवत्ता पर भी असर डालता है. अधिक शुगर और तेल खाने से दूध में वसा की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ सकती है, जिससे दूध की पौष्टिकता कम होती है. इससे दूध देने की क्षमता घट सकती है और गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर पड़ सकती है.
एसिडोसिस का खतरा
पशु चिकित्सकों के अनुसार, इस तरह का आहार गायों में एसिडोसिस नामक बीमारी का कारण बन सकता है. जब गायों के पेट में ज्यादा शुगर और वसा पहुंचती है, तो एसिडिटी और गैस बनने लगती है. पेट का फूलना और आंतों में संक्रमण जानलेवा स्थिति पैदा कर सकता है, जैसा कि भिवानी में हुआ.
गायों के लिए सही आहार
विशेषज्ञों का कहना है कि गायों को केवल हरा चारा, ताजा घास, दलहन और पोषक अनाज ही खिलाना चाहिए. साफ पानी की उपलब्धता भी जरूरी है, ताकि वे स्वस्थ रह सकें और दूध का उत्पादन बेहतर बना रहे. अगर किसी गाय को प्रसाद देना हो तो गुड़ और सूखा चारा सबसे सुरक्षित विकल्प है.
भिवानी की यह घटना हमें यह समझने का संदेश देती है कि धार्मिक आस्था में अज्ञानता के कारण दूसरों की जान खतरे में नहीं डालनी चाहिए. पुण्य कमाने की कोशिश में ऐसा कोई काम न करें जिससे इन बेजुबान पशुओं को तकलीफ झेलनी पड़े.