देश में धानी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. खेतीबाड़ी करने वाले किसानों का एक बड़ा हिस्सा अपनी आजीविका के लिए धान की फसल पर निर्भर करता है. म़ॉनसून सीजन की शुरुआत होते ही किसानों ने अपने खेतों में धान की रोपाई कर दी थी. अब सितंबर का महीना धान की फसल के लिए बेहद ही संवेदलशील है. ऐसे में धान की फसल में कई तरह के कीटों और रोगों का खतरा मंडराता है. इन कीटों में सबसे खतरनाक कीट है तना छेदक (Stem Borer). जो कि धान के पौधों के तनों पर हमला कर पौधों की ग्रोथ रोकता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि किसान समय रहते इस कीटे से बचाव करने के उपाय कर लें.
तना छेदक की पहचान
धान की फसल में लगने वाले तना छेदक कीट की पहचान किसान कुछ लक्षणों से कर सकते हैं. जब धान की फसल पर तना छेदक कीट का संक्रमण हो जाता है तो पौधों की पत्तियां मुरझाने लगती हैं. ये कीट तनों पर आक्रमण कर तनों में छेद कर देता है. साथ ही पौधे में दाने आने से पहले ही पौधे सूखने लगते हैं. आगे जाकर पौधे पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं. तना छेदक कीट के संक्रमण होने से न केवल पौधे नष्ट होते हैं बल्कि पौधों की ग्रोथ रुकने के साथ ही होने वाली पैदावार की क्वालिटी पर भी बुरा असर पड़ता है.

धान के पौधों के तनों में लगने वाला तना छेदक कीट (Photo Credit- Canva)
नीम के तेल का करें इस्तेमाल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसान अगर धान की फसल पर नीम के तेल का छिड़काव करते हैं तो पौधों को कीटों और रोगों से बचाया जा सकता है. यानी तना छेदक कीट से धान की फसल को बचाने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे नीम तेल का इस्तेमाल करें. इसके लिए सबसे पहले किसानों को 5 मिलीलीटर नीम तेल को प्रति लीटर पानी में मिलाना है. इसके बाद इस घोल में 1 से 2 मिलीलीटर कोई भी चिपकने वाला पदार्थ मिला लें ताकि घोल पत्तियों पर अच्छे से चिपक जाए. बता दें कि, फसल पर इसका छिड़काव हर 10 से 15 दिन के अंतर पर सुबह या शाम के समय ही करें.
क्या है इस घोल के फायदे
किसान अपनी फसलों को कीटों और रोगों से बचाने के लिए कई तरह के केमिकल कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं. नीम तेल इन कीटनाशकों के मुकाबले ज्यादा असरदार और सुरक्षित है. बात इसके फायदों की करें तो, नीम तेल के इस्तेमाल से मिट्टी को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है. इसके अलावा ये जैविक खेती को बढ़ावा देने में भी मदद करता है.