सरकार ने अप्रैल 2025 तक कुल 471.94 लाख टन चावल की खरीद कर ली है, जिसमें 11 लाख टन रबी सीजन का चावल भी शामिल है. पिछले साल की तुलना में यह आंकड़ा थोड़ा बढ़ा जरूर है, लेकिन अब भी यह उस स्तर से कम है जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और अन्य सरकारी योजनाओं की जरूरतों को पूरा कर सके.
जरूरत से ज्यादा भंडार, सरकार को बेचने की योजना
हालांकि, अगर पिछले साल से बचा चावल भी जोड़ लिया जाए, तो कुल भंडार जरूरत से कहीं ज्यादा हो गया है. इस अतिरिक्त स्टॉक को खत्म करने के लिए सरकार अब खुले बाजार में बिक्री, राज्य सरकारों को आपूर्ति और इथेनॉल उत्पादन जैसे रास्तों पर विचार कर रही है.
क्या कहते हैं ताजा आंकड़े?
1 अप्रैल 2025 तक केंद्र सरकार के पास 382.09 लाख टन चावल और 371.51 लाख टन धान का स्टॉक था. पिछले साल यही आंकड़ा 301.57 लाख टन (चावल) और 343.24 लाख टन (धान) था. इसका मतलब है कि भंडारण इस साल कहीं ज्यादा है.
धान की खरीद में मामूली कमी
धान की खरीद (चावल नहीं) की बात करें तो, अक्टूबर 2024 से अप्रैल 2025 तक 686.10 लाख टन धान की खरीद हुई है. यह पिछले साल की 687.09 लाख टन के मुकाबले थोड़ी कम है. अनुमान है कि देश ने इस बार रिकॉर्ड 136.44 मिलियन टन चावल का उत्पादन किया है, जिसमें से 120.68 मिलियन टन खरीफ सीजन का है.
राज्यवार चावल खरीद की स्थिति
पश्चिम बंगाल: 27.42 लाख टन (पिछले साल 18.86 लाख टन)
ओडिशा: 40.1 लाख टन (10% बढ़ोतरी)
आंध्र प्रदेश: 15.3 लाख टन (पिछले साल 14.1 लाख टन)
तमिलनाडु: 16 लाख टन (पिछले साल 15 लाख टन)
उत्तर प्रदेश: 38.6 लाख टन (8% बढ़ोतरी)
मध्य प्रदेश: 29.2 लाख टन
बिहार: 26.3 लाख टन (पिछले साल 20.6 लाख टन)
तेलंगाना: 3.62 लाख टन
पंजाब: 116.3 लाख टन (6% की गिरावट)
हरियाणा: 36 लाख टन (पिछले साल 39.5 लाख टन)
छत्तीसगढ़: 70 लाख टन (पिछले साल 83.2 लाख टन)
चावल की खरीद क्यों है जरूरी?
सरकार के खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए चावल की खरीद बहुत अहम है. 2024-25 में जब गेहूं की खरीद लक्ष्य से कम रही, तब कई राज्यों में चावल को गेहूं की जगह पीडीएस में शामिल किया गया. ऐसे में यह भंडार देश की खाद्य सुरक्षा में बड़ा रोल निभा रहा है.