धान की सीधी बुवाई पर प्रोत्साहन राशि बढ़ाई, DSR मशीन पर 40 हजार सब्सिडी की घोषणा
हरियाणा सरकार ने DSR तकनीक से धान की खेती पर प्रोत्साहन राशि को बढ़ाने की घोषणा कर दी है. इसके साथ ही किसानों को मशीन पर 40,000 रुपये तक की सब्सिडी भी देने का ऐलान किया है.
हरियाणा सरकार ने डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) तकनीक से धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि 500 रुपये बढ़ा दी है. यानी अब किसानो धान की सीधी बुवाई करने पर 4,500 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि मिलेगी. इसके साथ ही DSR मशीन खरीदने पर किसानों को 40,000 रुपये तक की सब्सिडी भी दी जाएगी. यह कदम जल संरक्षण और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.
इस साल सरकार का लक्ष्य राज्य में 4 लाख एकड़ में DSR तकनीक से धान की बुआई करने का है. सिरसा और फतेहाबाद जैसे जिलों में पिछले साल के मुकाबले लगभग 50 फीसदी ज्यादा क्षेत्र कवर करने का लक्ष्य है. प्रदेश के कई हिस्सों में 15 जून से DSR तकनीक से बुआई शुरू हो चुकी है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि तेज गर्मी, रेतीली मिट्टी में कम अंकुरण और पिछली सब्सिडी समय पर न मिलने के कारण इस बार भी लक्ष्य पूरा होना मुश्किल है. पिछले साल 5.06 लाख एकड़ जमीन DSR के लिए रजिस्टर हुई थी, लेकिन सिर्फ 1.56 लाख एकड़ ही सत्यापित रूप से बुआई हुई.
किसानों को सरकार पर नहीं है भरोसा
सिरसा में 90,000 एकड़ रजिस्टर हुए, लेकिन सर्वे में सिर्फ 70,000 एकड़ में DSR बुआई की पुष्टि हुई. अधिकारियों और किसानों के मुताबिक, सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है भुगतान में देरी. सिरसा में ही पिछले साल के DSR इंसेंटिव के 24 करोड़ रुपये की राशि हाल ही में जारी की गई, जिससे किसानों का सरकार पर भरोसा कमजोर हुआ है. एक वरिष्ठ कृषि अधिकारी ने कहा कि इस तरह की देरी किसानों को हतोत्साहित करती है. भले ही इंसेंटिव बढ़ा है, लेकिन किसान इस बार सतर्क हैं.
तेज गर्मी से किसान परेशान
किसान मौसम की मार से भी परेशान हैं. सिरसा में तापमान 47.5 डिग्री तक पहुंच चुका है, जिससे बीजों का अंकुरण और फसल की शुरुआती बढ़त पर बुरा असर पड़ा है. वहीं, कृषि विशेषज्ञों ने सरकार की बदली हुई नीति का स्वागत किया है. सिरसा के कृषि उपनिदेशक डॉ. सुखदेव कांबोज ने कहा कि DSR तकनीक से 25 से 30 फीसदी पानी और 20 से 30 फिसदी बिजली की बचत होती है.
सीधी रोपाई के फायदे
उन्होंने कहा कि साथ ही यह मजदूरी, नर्सरी और रोपाई का खर्च भी घटाती है. इससे संसाधन बचते हैं. मिट्टी की उपजाऊ ताकत बनी रहती है और कार्बन उत्सर्जन भी कम होता है. खास बात यह है कि इस साल प्रोत्साहन राशि पर कोई अधिकतम सीमा नहीं रखी गई है. किसान चाहे 1 एकड़ में बोएं या 100 एकड़ में, उन्हें प्रति एकड़ 4,500 रुपये की सहायता दी जाएगी.