एक लाख की नाव 40 हजार में, उत्तर प्रदेश सरकार दे रही है मछुआरों को भारी सब्सिडी
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानीय मछुआरों को सशक्त करने और उनकी आय को स्थायी रूप देने के लिए निषादराज बोट सब्सिडी योजना शुरू की है.
पारंपरिक खेती से जब किसान उचित मुनाफा नहीं कमा पाते हैं तो वे आय के और भी विकल्प ढूंढ़ते हैं. ऐसे में पशुपालन किसान के लिए एक मजबूत आय का माध्यम बनकर उभर रहा है. किसान खेती के साथ पशुपालन कर अच्छी आमदनी बटोर रहे हैं. पशुपालन में मुख्य रुप से गाय, भैंस, मुर्गी, मछली पालन आदि प्रमुख हैं. बता दें कि सरकार भी पशुपालक की आजीविका को स्थायी बनाने की हर संभव प्रयास करती है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानीय मछुआरों को सशक्त करने और उनके आय को स्थायी रुप देने के लिए निषादराज बोट सब्सिडी योजना की पहल की है. ऐसे में यह पहल उनके लिए फायदेमंद जो उत्तर प्रदेश में मछुआ समुदाय से आते हैं.
क्या है निषादराज बोट सब्सिडी योजना
उत्तर प्रदेश सरकार ने मछुआ समुदाय के लोगों की आजीविका को स्थायी बनाने के लिए एक बड़ी पहल के रुप में इस योजना की शुरुआत की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस योजना के तहत राज्य के मछुआरों को नाव खरीदने पर 40 फीसदी तक की सब्सिडी मिलेगी.
अगर कोई मछुआरा 1 लाख रुपए की नाव खरीदता है तो उसे 40 हजार रुपये तक की सब्सिडी सरकार देगी. यानी की उसे सिर्फ 40 हजार रुपए में नाव मिलेगी. इस योजना के तहत सरकार मछुआरों को मछली पकड़ने के उपकरणों जैसे नाव, जाल आदि पर सहायता दे रही है. इसके अलावा योजना के तहत फाइबर रिइंफोर्स्ड या लकड़ी की नाव, जाल, लाइफ जैकेट और आइस बॉक्स खरीदने की सुविधा दी गई है.
योजना के लिए पात्रता
इस योजना के तहत 13 पारंपरिक मछुआरों को चिह्नित किया गया है. इस पारंपरिक मछुआरों समुदायों में केवट, मल्लाह, निषाद, बिंद, धीमर, मांझी, कहार आदि शामिल हैं. इसके अलावा वे मछुआरे योजना के पात्र होंगे जिनके पास 0.4 हेक्टेयर या उससे अधिक का तालाब पट्टा है.
ऐसे करें आवेदन
विभाग के सहायक निदेशक ने बताया कि योजना का उद्देश्य पारंपरिक मछुआरों को सशक्त बनाना है. आगे उन्होंने बताया कि इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 24 जुलाई से 14 अगस्त चलेगी. आवेदन विभाग के आधिकारिक पोर्टल पर जाकर किया जा सकता है. इसके अलावा इच्छुक व्यक्ति योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी मतस्य विभाग कार्यलय से संपर्क कर ले सकते हैं.