मिड-डे मील में बच्चों को मिलेंगे अंडा, केला और दूध.. शुरू होंगे 5000 नए प्री-प्राइमरी स्कूल
मिड-डे मील की लागत में 60 फीसदी खर्च केंद्र सरकार और 40 फीसदी राज्य सरकार वहन करती है. लेकिन क्षीर भाग्य योजना, अंडे और केले का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाती है. हर प्री-प्राइमरी बच्चे के भोजन पर 6.78 रुपये का खर्च आता है.
Agriculture News: कर्नाटक में बच्चों में पोषण बढ़ाने के लिए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (DSEL) ने आदेश जारी किया है. आदेश में कहा गया है कि सरकारी प्री-प्राइमरी स्कूलों में भी अब बच्चों को अंडे, केले और दूध दिया जाए. अभी तक मिड-डे मील में अंडे, दूध और केले की सुविधा केवल कक्षा 1 से 10 तक के बच्चों को मिलती थी. आदेश में कहा गया है कि जिन सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, वहां पीएम-पोषण योजना के तहत मिड-डे मील, क्षीर भाग्य योजना के तहत दूध और अंडे या केले दिसंबर से ही दिए जाएं.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मिड-डे मील की लागत में 60 फीसदी खर्च केंद्र सरकार और 40 फीसदी राज्य सरकार वहन करती है. लेकिन क्षीर भाग्य योजना, अंडे और केले का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाती है. हर प्री-प्राइमरी बच्चे के भोजन पर 6.78 रुपये का खर्च आता है, जिसमें 4.07 रुपये केंद्र सरकार और 2.71 रुपये राज्य सरकार देती है. कर्नाटक के प्री-प्राइमरी स्कूलों में वर्तमान में 1,98,270 बच्चे पढ़ रहे हैं.
5,000 नए प्री-प्राइमरी स्कूल शुरू किए जाएंगे
आदेश में कहा गया है कि स्कूल शिक्षा विभाग के कमिश्नर, समग्र शिक्षा कर्नाटक के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के निदेशक और सभी जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि प्री-प्राइमरी बच्चों को साफ-सुथरा और पौष्टिक गरम भोजन, गरम दूध और अतिरिक्त पोषण आहार हर दिन समय पर मिले, और इसकी नियमित निगरानी की जाए. साथ ही जैसे प्राथमिक और हाई स्कूल के बच्चों का डेटा SATS सॉफ़्टवेयर पर दर्ज किया जाता है, वैसे ही अब प्री-प्राइमरी बच्चों का पूरा विवरण भी उसी सॉफ़्टवेयर में शामिल किया जाएगा. आदेश में यह भी बताया गया है कि राज्यभर में 5,000 नए प्री-प्राइमरी स्कूल शुरू किए जाएंगे.
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए
वहीं, कल खबर सामने आई थी कि 1 दिसंबर 2025 से कर्नाटक भर में लाखों आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाएं, मिड-डे मील कर्मचारी और आशा कार्यकर्ता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए. उनकी हड़ताल के कारण आंगनवाड़ी केंद्रों और मिड-डे मील सेवाओं पर बड़ा असर पड़ा, क्योंकि वे अपनी मांगों को केंद्र सरकार के सामने रख रहे हैं. बेंगलुरु के मल्लेश्वरम पुलिस स्टेशन और बेंसन टाउन के पास स्थित आंगनवाड़ी केंद्र बंद रहे, क्योंकि वहां की कार्यकर्ता फ़्रीडम पार्क में प्रदर्शन के लिए जुटीं। इसी तरह मंड्या, हुब्बली, तुमकुरु और कई अन्य जिलों में भी प्रदर्शन हुए.
सोच-समझकर हड़ताल करने का फैसला लिया
भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (CITU) की कर्नाटक अध्यक्ष एस. वरलक्ष्मी ने कहा कि हमने सोच-समझकर हड़ताल करने का फैसला लिया है. हमें पता है कि आंगनवाड़ी, मिड-डे मील और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में. लेकिन इन कामगारों को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है, क्योंकि हड़ताल के दिनों की उन्हें कोई वेतन नहीं मिलेगा.