Lucknow sheep death: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक बेहद संवेदनशील और दुखद घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ पशुपालकों को झकझोर दिया है, बल्कि शहरों में लापरवाही से फेंके जा रहे कचरे और भोजन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. प्रेरणा स्थल के पास चरने गईं भेड़ों में सड़ा हुआ भोजन खाने से अफरा-तफरी मच गई. देखते ही देखते 100 से ज्यादा भेड़ों की मौत हो गई, जबकि करीब 150 भेड़ें मरणासन्न हालत में पहुंच गईं. इस घटना ने एक मेहनतकश परिवार को गहरे संकट में डाल दिया है.
चराई के दौरान हुआ हादसा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फतेहपुर जिले के ढकौली मदरिया गांव निवासी शिवरतन पाल अपनी करीब 350 भेड़ों को रविवार दोपहर चराने के लिए प्रेरणा स्थल की पार्किंग के पास लेकर पहुंचे थे. यह इलाका खुला होने के कारण पशुपालक अक्सर यहां भेड़ों को चरने के लिए लाते हैं. वहां पहले से कई दिनों से पड़ा हुआ खराब और सड़ा भोजन मौजूद था, जिसे भेड़ों ने खा लिया. शुरुआत में किसी को खतरे का अंदाजा नहीं हुआ, लेकिन देर शाम से भेड़ों की हालत बिगड़ने लगी.
रात में बढ़ी बेचैनी, सुबह तक मच गया कोहराम
रात करीब साढ़े बारह बजे शिवरतन पाल के बेटे ने जब भेड़ों को देखने के लिए वहां जाकर स्थिति देखी, तो कुछ भेड़ें मृत मिलीं. यह खबर सुनते ही परिवार के लोग मौके पर पहुंचे और तुरंत दवाइयां देने की कोशिश की, लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ. कुछ ही घंटों में करीब 150 भेड़ें गंभीर हालत में पहुंच गईं और लगभग 100 भेड़ों ने दम तोड़ दिया. यह दृश्य इतना भयावह था कि आसपास के लोग भी स्तब्ध रह गए.
पशु चिकित्सा टीम ने संभाला मोर्चा
सोमवार को घटना की सूचना मिलते ही पशु चिकित्सा विभाग की टीम मौके पर पहुंची. कई पशु चिकित्सकों को बुलाया गया और गंभीर हालत में मौजूद भेड़ों को इंजेक्शन और ग्लूकोज दिया गया. घंटों तक इलाज चलता रहा. डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादा मात्रा में सड़ा हुआ भोजन खाने से भेड़ों का पेट फूल गया, सांस लेने में दिक्कत हुई और इसी कारण उनकी मौत हुई. मृत भेड़ों को स्वास्थ्य मानकों के अनुसार पास में ही दफन किया गया, जबकि विसरा जांच के लिए भेजा गया है.
मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान
इस घटना ने प्रशासन को भी गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया. मामले का संज्ञान लेते हुए योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही उन्होंने मृत प्रत्येक भेड़ पर 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है, ताकि पीड़ित परिवार को कुछ राहत मिल सके. अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं.
एक परिवार की टूटी उम्मीदें
शिवरतन पाल ने अधिकारियों को बताया कि भेड़ें ही उनके परिवार की आजीविका का एकमात्र सहारा थीं. उन्होंने कई भेड़ें उधार लेकर खरीदी थीं. 100 से ज्यादा भेड़ों की मौत से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. परिवार का कहना है कि सरकारी सहायता जरूर राहत देगी, लेकिन वर्षों की मेहनत और पूंजी एक झटके में खत्म हो गई.
लापरवाही पर उठे सवाल
घटना के बाद सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि प्रेरणा स्थल की पार्किंग में फेंके गए भोजन और कचरे का सही तरीके से निस्तारण नहीं किया गया. अगर समय रहते सफाई होती, तो यह हादसा टल सकता था. इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी तेज हो गई है.