तय समय से लंबा खिंचेगा कपास मिशन! किसानों को लाभ मिलने में देरी के संकेतों ने बढ़ाई परेशानी
Cotton Mission : कपास मिशन को रोलआउट करने के लिए आईसीएआर काम कर रहा है, लेकिन कृषि मंत्रालय से इनपुट का उसे इंतजार है. बजट प्रस्ताव के विपरीत स्थितियां बनने के चलते कपास मिशन को 10 साल का समय दिए जाने पर विचार किया जा रहा है.
केंद्र सरकार ने कपास का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही कपास मिलों और कपास किसानों की बेहतरी के इरादे से बजट 2025-26 में कपास मिशन की घोषणा की थी. उस वक्त बजट घोषणा करते हुए वित्तमंत्री ने कहा था कि कपास मिशन के जरिए 5 साल में इसकी खेती करने वाले किसान, मिलों और स्टेकहोल्डर्स की स्थिति में बेहतरी लाई जाएगी. कपास मिशन का पायलट प्रोजेक्ट आईसीएआर के पास है, जो इसे लागू करने के लिए अभी कषि मंत्रालय से मिलने वाले इनपुट के इंतजार में है. ऐसे में कहा जा रहा है कि कपास मिशन को अतिरिक्त 5 साल और दिए जा सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो किसानों को मिलने वाले लाभों में देरी हो सकती है.
कॉटन प्रोडक्टिविटी मिशन को 10 साल का समय मिल सकता है
बिजनेस लाइन ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने प्रस्तावित कॉटन प्रोडक्टिविटी मिशन के लिए 10 साल का लंबा समय तय करने का फैसला किया है. क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने सुझाव दिया था कि शुरू में प्रस्तावित 5 साल का समय काफी नहीं था. मिशन का पायलट प्रोजेक्ट कर रही ICAR इसे फाइनल करने के लिए एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के इनपुट का इंतजार कर रही है.
प्लान के रोलआउट में देरी होने के बावजूद कपड़ा मंत्रालय प्रस्तावित मिशन से मिलने वाली फंडिंग का इस्तेमाल जिनिंग फैक्ट्रियों के मॉडर्नाइजेशन के लिए करने पर जोर दे रहा है. जबकि, डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर और नीति आयोग ने इसके प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. इसके बाद कॉटन प्रोडक्टिविटी मिशन का खर्च लगभग 5,000 करोड़ करने का शुरुआती प्लान लागू करने का समय बढ़ सकता है.
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किसानों की कमाई और उत्पादन बढ़ाने के लिए हुई थी कपास मिशन की घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के अपने बजट भाषण में कहा था कि लाखों कपास उगाने वाले किसानों के फायदे के लिए मुझे ‘कपास प्रोडक्टिविटी के लिए मिशन’ की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है. यह 5 साल का मिशन कपास की खेती की प्रोडक्टिविटी और सस्टेनेबिलिटी में काफी सुधार करेगा, और एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल कपास की किस्मों को बढ़ावा देगा. मिशन के जरिए किसानों को सबसे अच्छी साइंस और टेक्नोलॉजी मदद दी जाएगी.
उन्होंने कहा था कि कपास मिशन के जरिए टेक्सटाइल सेक्टर के लिए हमारे इंटीग्रेटेड 5F (फार्म, फाइबर, फैक्ट्री, फैशन और फॉरेन) विजन के साथ, किसानों की इनकम बढ़ाने में मदद मिलेगी और भारत के पारंपरिक टेक्सटाइल सेक्टर को फिर से जिंदा करने के लिए अच्छी क्वालिटी वाले कॉटन की लगातार सप्लाई पक्की होगी.
टेक्सटाइल मिनिस्ट्री की घोषणाएं बजट प्रपोजल के हिसाब से नहीं
इस प्रपोजल को अभी एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमीशन से मंजूरी मिलनी बाकी है, इसलिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) और मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल्स का प्लान पहले डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर के सामने लाया गया था. इसमें कहा गया था कि टेक्सटाइल मिनिस्ट्री के प्रपोज़ल बजट अनाउंसमेंट के मुताबिक नहीं थे.
डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर (DOE) ने एक नोट में कहा कि “मिनी मिशन-II और मिनी मिशन-III के तहत प्रपोज़ किए गए कंपोनेंट, जिन्हें मिनिस्ट्री ऑफ़ टेक्सटाइल्स लागू करने वाला है वो बजट अनाउंसमेंट में शामिल नहीं हैं. इसलिए मिनी मिशन-II और मिनी मिशन-III सपोर्टेड नहीं हैं और उन्हें प्रपोज़्ड मिशन से हटा देना चाहिए.