फसल बीमा की बेईमानी में खुद किसान भी हुए शरीक, फर्रुखाबाद में पकड़े 32 किसान
फर्रुखाबाद के जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने एक कमेटी गठित करके बीमा क्लेम के रूप में 1 लाख रुपये से अधिक राशि पाने वाले किसानों की जांच कराई. जांच में ऐसे कुछ भूमिहीन किसान भी सामने आए जिनके बैंक खाते में 4 लाख रुपये बीमा क्लेम के जमा हुए. जांच कर्मियों ने गांव में जाकर मौका मुआयना किया तो पता चला कि इन किसानों के न तो मौके पर खेत मिले और ना ही इन किसानों ने बटाईदारी पर भी खेती की थी.
यूपी में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बड़े पैमाने पर हुई गडबडी का खेल बुंदेलखंड से शुरू होने के बाद ब्रज में मथुरा और फर्रुखाबाद तथा अवध क्षेत्र में हरदोई तक पहुंच गया है. मामले की जांच आगे बढ़ने के साथ ही इसमें शामिल लोगों की संलिप्तता का दायरा भी बढ़ता जा रहा है. सैकड़ों करोड रुपये के इस घपले में बीमा कंपनी और कृषि विभाग के अफसरों की मिलीभगत पाए जाने के बाद अब पता चला है कि खुद किसान भी घपलेबाजी में लिप्त थे.
फर्रुखाबाद में पीएम फसल बीमा योजना से जुडे़ एक मामले की जांच में 68 लाख रुपये के गबन में 32 किसान भी शामिल पाए गए हैं. इतना ही नहीं, फर्रुखाबाद के घपले बाजों ने फसल बीमा में गड़बड़ी करने का नया तरीका खोजते हुए ऐसे किसानों का फसल बीमा कर दिया, जिनके पास एक इंच भी जमीन नहीं है. ये भूमिहीन किसान पैसे के लालच में इस गोरखधंधे का हिस्सा बनकर अब पुलिस कार्रवाई का सामना कर रहे हैं.
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ऐसे खुली घपले की परतें
बुंदेलखंड के किसानों द्वारा गत अगस्त में यह मामला उजागर किए जाने के बाद ब्रज क्षेत्र के कुछ किसान संगठनों ने भी फसल बीमा में गडबडी का मसला स्थानीय प्रशासन के समक्ष उठाया. फर्रुखाबाद के जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने एक कमेटी गठित करके बीमा क्लेम के रूप में 1 लाख रुपये से अधिक राशि पाने वाले किसानों की जांच कराई. जांच में ऐसे कुछ भूमिहीन किसान भी सामने आए जिनके बैंक खाते में 4 लाख रुपये बीमा क्लेम के जमा हुए. जांच कर्मियों ने गांव में जाकर मौका मुआयना किया तो पता चला कि इन किसानों के न तो मौके पर खेत मिले और ना ही इन किसानों ने बटाईदारी पर भी खेती की थी. ऐसे 32 भूमिहीन किसानों के बैंक खाते में कुल 68 लाख रुपये बीमा क्लेम के रूप में जमा हुए.
इस मामले में जिला प्रशासन ने जहानगंज और अमृतपुर थाने में 32 किसानों, 3 फसल बीमा कर्मियों और बैंक के 9 शाखा प्रबंधकों के खिलाफ शनिवार को एफआईआर दर्ज कराई है. इस इलाके में देश की अग्रणी बीमा कंपनी जनरल इंश्योरेंस और एचडीएफसी एर्गो कंपनी द्वारा रबी सीजन 2024 में 8849 किसानों का फसल बीमा कराया गया था. इसके एवज में कंपनी ने 232 किसानों को फसल बीमा क्लेम के रूप में 2.28 करोड रुपये दिए थे.
सरकार ने भेजे नोटिस
फसल बीमा में घपले की परतें खुलने के बाद अब राज्य सरकार भी सक्रिय हो गई है. कृषि विभाग के लखनऊ स्थित मुख्यालय द्वारा इस मामले से जुडे जिला प्रशासन को नोटिस भेजा गया है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक फसल बीमा घोटाले से जुडे जिलों में स्थानीय प्रशासन द्वारा अब तक की जांच में आरोपों की पुष्टि होने के बावजूद पुख्ता कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण शासन द्वारा सख्ती की गई है. इसके फलस्वरूप ही कृषि विभाग ने मथुरा, फर्रुखाबाद, झांसी, जालौन, ललितपुर और महोबा के जिलाधिकारी से इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई का विस्तृत ब्यौरे की रिपोर्ट तलब की है.
साथ ही हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट के जिलाधिकारी को इन मामलों की जांच पर निगरानी रखते हुए अब तक किए गए बीमा क्लेम के भुगतान का सत्यापन करने को कहा गया है. इसके बाद हरकत में आए झांसी के जिला प्रशासन ने महोबा की तर्ज पर फसल बीमा घोटाले में 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इस बीच फसल बीमा पोर्टल के डेटा में हेरफेर किए जाने की शिकायतों पर भी शासन ने संज्ञान लिया है.
गौरतलब है कि इस घोटाले को उजागर करने वाले व्हिसल ब्लोअर बने महोबा के किसान गुलाब सिंह ने पीएम फसल बीमा योजना और मौसम आधारित फसल बीमा योजना के पोर्टल में दर्ज अगस्त और दिसंबर के आंकड़ों में अंतर होने के साक्ष्य जिला प्रशासन के समक्ष पेश किए थे. कृषि विभाग ने इस गडबडी की भी जांच शुरू कर दी है.
मथुरा में पहले भी हो चुका फसल बीमा का करोड़ों का घोटाला
इसी प्रकार मथुरा में किसानों ने फसल बीमा में गड़बड़ी पाए जाने के बाद योजना का एप बंद होने की शिकायत की थी. शासन स्तर पर इस मामले में संज्ञान लेते हुए शनिवार को एप भी चालू करा दिया गया है. गौरतलब है कि मथुरा में भी 2 साल पहले फसल बीमा में करोड़ों रुपये का घपला होने की बात सामने आई थी. इसमें किसी दूसरे किसान की जमीन पर फसल का बीमा कराने, बंजर जमीन को कागजों में उपजाऊ बताकर बीमा कराने और एक ही किसान के दो दो बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर बीमा का लाभ दिलाने के मामले शामिल थे.
इन मामलों की जांच के बाद गडबडी में लिप्त पाए गए 206 लोगों से 2 करोड रुपये की वसूली करने के आदेश दिए गए थे. मथुरा में ही इसी तरह के 90 लाख रुपये की वसूली के एक अन्य मामले में स्थानीय प्रशासन द्वारा अब तक 13 लाख रुपये की ही वसूली की जा सकी है.