6 महीने में केवल 342 किसानों को मिला मुफ्त बिजली कनेक्शन, अभी 8000 से अधिक आवेदन हैं लंबित
तिरुचिरापल्ली जिले में वित्तीय वर्ष के छह महीने बीतने के बाद भी केवल 342 किसानों को मुफ्त बिजली कनेक्शन मिले हैं. तमिलनाडु में कुल 15,000 कनेक्शन वितरित हुए. वित्तीय और लॉजिस्टिक चुनौतियों के कारण वितरण धीमा है, जबकि सरकार किसानों को मुफ्त बिजली देने के लिए प्रतिबद्ध है.
Tamil Nadu News: तिमलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले में वित्तीय वर्ष के छह महीने बीत जाने के बाद भी केवल 342 किसानों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए गए हैं, जबकि लक्ष्य 925 था और 8,000 से अधिक आवेदन लंबित हैं. तांगेडको अधिकारियों के अनुसार, वितरण की रफ्तार धीमी है, लेकिन पिछले साल की तुलना में इसमें थोड़ी सुधार देखने को मिला है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2024-25 में हम केवल लगभग 400 कनेक्शन दे पाए थे, जबकि लक्ष्य 2,000 था. इस बार सातवें महीने तक हम 340 से ऊपर पहुंच गए हैं और शेष महीनों में प्रक्रिया तेज करने का प्रयास किया जा रहा है.
तांगेडको तिरुचि विभाग ने 2,665 और कनेक्शनों के लिए तैयारियां भी कर ली हैं, जिन्हें तीन श्रेणियों में प्राथमिकता दी जाएगी. तत्काल (एकमुश्त भुगतान) कनेक्शन, TAHDCO योजना के तहत सिफारिश वाले कनेक्शन, और पूरी तरह मुफ्त किसान कनेक्शन. तत्काल योजना के तहत किसान वायरिंग और इंस्टॉलेशन खर्च के लिए एकमुश्त 2 लाख रुपये तक का भुगतान करते हैं, इसके बाद बिजली मुफ्त मिलती है. अधिकारी बताते हैं कि फिलहाल एकमुश्त भुगतान वाले कनेक्शन को प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन आगामी महीनों में मुफ्त कनेक्शन जारी करने के प्रयास भी तेज किए जा रहे हैं.
50,000 कनेक्शन देने का वादा किया था
तिरुचिरापल्ली जिले में लालगुड़ी, मुसिरी और थुरैयुर क्षेत्रों में ज्यादा कनेक्शन वितरित किए गए हैं. लेकिन मुफ्त कृषि बिजली कनेक्शन की धीमी वितरण गति सिर्फ तिरुचि तक सीमित नहीं है. तमिलनाडु में भी इसकी रफ्तार काफी धीमी रही है. जुलाई 2025 में प्राप्त RTI उत्तर के अनुसार, 2024-25 में तांगेडको ने राज्यभर में केवल 15,000 मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए, जबकि पहले सरकार ने 50,000 कनेक्शन देने का वादा किया था.
बुनियादी ढांचा लागत बढ़ जाती है
अधिकारियों के अनुसार, वित्तीय सीमाओं की वजह से लक्ष्य बाद में 15,000 कर दिया गया. एक वरिष्ठ तांगेडको अधिकारी ने कहा कि कृषि भूमि तक मुफ्त बिजली पहुंचाना महंगा होता है क्योंकि इसके लिए पोल, ट्रांसफॉर्मर और मीटर जैसी बुनियादी ढांचा लागत बढ़ जाती है. अधिकारी ने कहा कि कई खेत मुख्य ट्रांसमिशन लाइनों से दूर हैं, जिससे सामग्री और श्रम खर्च बढ़ जाता है. सरकार मुफ्त बिजली देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन वित्तीय और लॉजिस्टिक चुनौतियों की वजह से प्रक्रिया धीमी हो रही है.
फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा
वहीं, कल खबर सामने आई थी कि तिरुचिरापल्ली जिले में फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. थिरुवेरुम्बुर ब्लॉक के कई गांवों, खासकर वेंगुर और पझंगनंकुड़ी में लगभग 500 एकड़ में उगाई गई सांबा धान की फसल सूख गई है, जिससे किसान चिंतित हैं. कृषि विभाग के विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रदूषित पानी की वजह से फसल सूख गई है. वे तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TNPCB) से जांच की सिफारिश करेंगे. ऐसे में किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है. किसानों का कहना है कि मुआवजा नहीं मिलने पर उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा.