नेपाल से सस्‍ते खाद्य तेल के आयात ने बढ़ाया सिरदर्द, पीएम मोदी से संगठन ने एक अपील

बाजार सूत्रों के अनुसार, नेपाल से भारत में प्रति माह कम से कम 50,000 से 60,000 टन रिफाइंड तेल आएगा. भारतीय खाद्य तेल अर्थव्यवस्था और किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सरकार को विभिन्न उपाय सुझाए हैं.

Kisan India
Agra | Updated On: 3 Mar, 2025 | 10:22 PM

नेपाल की तरफ से सस्‍ते खाद्य तेल का आयात भारत के व्‍यापारियों के लिए सिरदर्द बन गया है. खाद्य तेल उद्योग निकाय एसईए ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बाबत चिट्ठी लिखी है. संगठन की तरफ से इस चिट्ठी में पीएम मोदी से नेपाल और बाकी सार्क देशों से सस्ते खाद्य तेलों के आयात पर नियंत्रण लगाने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है. संगठन का कहना है कि इससे घरेलू प्रोसेसर्स और तिलहन किसान प्रभावित हो रहे हैं.

भारत के हितों को हो रहा नुकसान

प्रधानमंत्री और बाकी सीनियर कैबिनेट मंत्रियों को 6 फरवरी को लिखे पत्र में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने कहा कि साफ्टा (दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र) समझौते के तहत शून्य शुल्क पर खाद्य तेलों का आयात भारत के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है. इस चिट्ठी में लिखा है, ‘हम आपका ध्यान नेपाल से भारत में एक बार फिर रिफाइंड सोयाबीन तेल और पाम तेल के बड़े पैमाने पर आयात की ओर आकर्षित करना चाहते हैं. इसमें उत्पत्ति के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है जिससे घरेलू रिफाइनर और किसान गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं तथा सरकार को राजस्व की हानि हो रही है.’

सरकार को दिए सुझाए गए उपाय

साफ्टा समझौते के तहत शुल्क लाभ को देखते हुए एसईए ने कहा कि बाजार सूत्रों के अनुसार, नेपाल से भारत में प्रति माह कम से कम 50,000 से 60,000 टन रिफाइंड तेल आएगा. एसोसिएशन ने भारतीय खाद्य तेल अर्थव्यवस्था और किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सरकार को विभिन्न उपाय सुझाए हैं. सबसे पहले, एसईए ने कहा कि सरकार को साफ्टा देशों से आने वाले खाद्य तेलों के लिए न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) लागू करना चाहिए. एमआईपी (न्यूनतम आयात मूल्य) भारत में तिलहनों के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के अनुसार भारत में तिलहनों से निकाले गए तेल की कीमत से कम नहीं होना चाहिए.

आयात की घरेलू मांग का जिक्र

इसमें कहा गया है कि मूल देश के नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए. साथ ही, साफ्टा देशों में आयात की कीमत और भारत को पुनः निर्यात के बीच मूल्य संवर्धन मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए. इस चिट्ठी के अनुसार ‘साफ्टा समझौते को संशोधित किया जाना चाहिए ताकि सदस्य देश में स्थापित क्षमता का केवल एक हिस्सा ही सुनिश्चित हो सके और इसे शुल्क मुक्त आयात की घरेलू मांग से जोड़ा जाना चाहिए.’

एसईए ने कहा, ‘सीमा शुल्क भुगतान से बचकर साफ्टा को भारत में डंपिंग मार्ग बनने से रोकना आवश्यक है.’ इसने नेपाल से भारत में आयात के प्रवाह को प्रबंधित और विनियमित करने के लिए नैफेड जैसे कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के माध्यम से आयात को नहरबद्ध करने की भी सिफारिश की. एसोसिएशन ने सरकार को नेपाल से परिष्कृत तेलों के आयात के लिए कोटा तय करने का सुझाव दिया.

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Published: 3 Mar, 2025 | 09:25 PM

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