GST और टैरिफ के बीच 2025 में भारतीय कृषि ने बनाया रिकॉर्ड, 2026 में अहम कानूनों से उम्मीद
अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ ने भारत के 5 से 6 अरब डॉलर के कृषि निर्यात को प्रभावित किया. झींगा, प्रोसेस्ड फूड, मसाले, चावल, ग्वार गम, काजू और डेयरी उत्पादों पर इसका असर देखने को मिला. निर्यातकों को ऑर्डर रद्द होने, मुनाफा घटने और रोजगार पर खतरे जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा.
India agriculture 2025: साल 2025 भारतीय कृषि के लिए एक ऐसा साल रहा, जिसमें उपलब्धियों और चुनौतियों दोनों की तस्वीर साफ दिखी. एक ओर देश ने खाद्यान्न उत्पादन में नया रिकॉर्ड बनाने की ओर कदम बढ़ाया, तो दूसरी ओर वैश्विक व्यापार में आए उतार-चढ़ाव और किसानों की आय से जुड़े सवाल भी चर्चा में रहे. जीएसटी में कटौती ने खेती की लागत घटाने में बड़ी भूमिका निभाई, जबकि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ ने निर्यातकों को नए बाजार तलाशने के लिए मजबूर किया. अब 2026 में बीज और कीटनाशक से जुड़े अहम कानूनों पर सबकी नजर टिकी हुई है.
खाद्यान्न उत्पादन में ऐतिहासिक बढ़त
कृषि मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2025-26 में देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल के 357.73 मिलियन टन के रिकॉर्ड को पार कर सकता है. कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि खरीफ फसलों का प्रदर्शन बेहतर रहा है और रबी की बुवाई भी संतोषजनक गति से आगे बढ़ रही है. सामान्य से बेहतर दक्षिण-पश्चिम मानसून ने खरीफ सीजन को मजबूती दी, जिसके चलते खरीफ उत्पादन का पहला अग्रिम अनुमान 173.33 मिलियन टन लगाया गया है, जो पिछले वर्ष 169.4 मिलियन टन था.
धान उत्पादन के 124.5 मिलियन टन से अधिक रहने की संभावना है, जबकि मक्का का उत्पादन 28.3 मिलियन टन तक पहुंच सकता है. हालांकि सितंबर में अत्यधिक बारिश ने पश्चिमी और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में फसलों को नुकसान भी पहुंचाया, जिससे यह साफ हुआ कि जलवायु जोखिम अब भी खेती के लिए बड़ी चुनौती हैं.
रबी बुवाई से बढ़ी उम्मीद
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, 19 दिसंबर तक रबी फसलों की बुवाई 659.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी थी, जो पिछले साल से करीब 8 लाख हेक्टेयर ज्यादा है. गेहूं का रकबा 301.63 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया, जबकि दालों का क्षेत्रफल बढ़कर 126.74 लाख हेक्टेयर हो गया. इसके बावजूद नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद का अनुमान है कि 2025-26 में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की वृद्धि दर करीब 4 प्रतिशत रह सकती है, जो पहले के 4.6 प्रतिशत अनुमान से थोड़ी कम है.
GST कटौती से खेती को बड़ी राहत
साल 2025 की सबसे अहम नीतिगत पहल 56वीं GST परिषद की बैठक में लिया गया फैसला रहा. खेती में उपयोग होने वाले कई उपकरणों और इनपुट्स पर GST दर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई. इसमें 1800 सीसी से कम क्षमता वाले ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, सिंचाई प्रणाली, ट्रैक्टर के पुर्जे और टायर शामिल हैं. इसके साथ ही 12 जैविक कीटनाशकों, सूक्ष्म पोषक तत्वों और उर्वरक कच्चे माल पर भी राहत दी गई.
इसके अलावा यूएचटी दूध, पनीर, छेना और भारतीय ब्रेड जैसे उत्पादों को शून्य प्रतिशत GST श्रेणी में रखा गया. इन फैसलों से खेती की लागत में 7 से 13 प्रतिशत तक की कमी आई और किसानों को ट्रैक्टर खरीदने में 50 हजार से 1 लाख रुपये तक की बचत हुई. हालांकि रासायनिक कीटनाशकों और फफूंदनाशकों पर 18 प्रतिशत जीएसटी बनी रही.
अमेरिकी टैरिफ से निर्यात पर असर
अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ ने भारत के 5 से 6 अरब डॉलर के कृषि निर्यात को प्रभावित किया. झींगा, प्रोसेस्ड फूड, मसाले, चावल, ग्वार गम, काजू और डेयरी उत्पादों पर इसका असर देखने को मिला. निर्यातकों को ऑर्डर रद्द होने, मुनाफा घटने और रोजगार पर खतरे जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा.
हालांकि राहत की बात यह रही कि नवंबर में 200 से अधिक खाद्य श्रेणियों को टैरिफ से छूट दी गई, जिनमें चाय, कॉफी, मसाले और कोको शामिल हैं. इसके साथ ही निर्यातकों ने अमेरिका के बाहर नए बाजारों की ओर रुख किया. अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच कृषि निर्यात में 9 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर्ज की गई, जो मुख्य रूप से गैर-अमेरिकी बाजारों के कारण संभव हुई.
सरकारी योजनाएं और किसानों का इंतजार
2025-26 के लिए कृषि मंत्रालय का बजट बढ़ाकर 1.37 लाख करोड़ रुपये किया गया. सरकार ने फसल बीमा योजना को आगे बढ़ाया, डीएपी उर्वरक पर सब्सिडी बढ़ाई और पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अब तक 3.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की. नवंबर में जारी 21वीं किस्त से करीब 9 करोड़ किसानों को मदद मिली.
इसके बावजूद साल के दौरान किसान आंदोलनों ने यह दिखाया कि रिकॉर्ड उत्पादन और किसानों की आय के बीच अब भी दूरी है. अब 2026 में किसानों को ड्राफ्ट सीड्स बिल 2025 और पेस्टीसाइड मैनेजमेंट बिल 2020 के पारित होने का इंतजार है, ताकि नकली बीज और कीटनाशकों पर लगाम लग सके.