देश में 85 फीसदी रबी की बुवाई का काम पूरा, गेहूं और चना बने किसानों की पहली पसंद

कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस बार रबी की बुवाई न केवल समय पर हो रही है, बल्कि पिछले साल के मुकाबले बेहतर स्थिति में है. आंकड़ों के अनुसार, देश में रबी फसलों की बुवाई का औसत रकबा करीब 637.81 लाख हेक्टेयर माना जाता है, जिसमें से इस बार लगभग 85 प्रतिशत क्षेत्र में बुवाई पूरी हो चुकी है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 16 Dec, 2025 | 07:31 AM

देश में रबी सीजन इस बार किसानों के लिए उम्मीदों से भरा नजर आ रहा है. मानसून के बाद मिली अच्छी नमी, समय पर बुवाई और सरकार की नीतियों ने रबी फसलों की रफ्तार को मजबूत किया है. खेतों में इन दिनों गेहूं, चना, सरसों और अन्य रबी फसलों की हरियाली दिखाई देने लगी है. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस बार रबी की बुवाई न केवल समय पर हो रही है, बल्कि पिछले साल के मुकाबले बेहतर स्थिति में है. यही वजह है कि किसान और कृषि विशेषज्ञ दोनों ही इस सीजन को लेकर सकारात्मक नजर आ रहे हैं.

रबी बुवाई में 4.5 फीसदी की बढ़त

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में रबी फसलों की बुवाई अब लगभग अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. सामान्य तौर पर रबी फसलों का औसत रकबा करीब 637.81 लाख हेक्टेयर माना जाता है, जिसमें से इस बार लगभग 85 प्रतिशत क्षेत्र में बुवाई पूरी हो चुकी है. 12 दिसंबर तक कुल रबी बुवाई का रकबा 536.76 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 512.76 लाख हेक्टेयर था. यानी इस साल रबी की बुवाई में करीब 4.5 फीसदी की सालाना बढ़त देखने को मिली है.

गेहूं बना रबी की रफ्तार का इंजन

रबी सीजन की सबसे अहम फसल गेहूं इस बार बुवाई में सबसे आगे नजर आ रही है. गेहूं का रकबा करीब 6.5 फीसदी बढ़कर 275.66 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल यह 258.48 लाख हेक्टेयर था. गेहूं का सामान्य रकबा 312.25 लाख हेक्टेयर माना जाता है, और मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि किसान तेजी से इस लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के अनुसार पोस्ट-मानसून नमी ने खेतों की स्थिति को बेहतर बनाए रखा है. हालांकि पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाकों में देर से धान कटाई और अतिरिक्त बारिश के कारण थोड़ी देरी जरूर हुई, लेकिन कुल मिलाकर बुवाई तय समय सीमा के भीतर चल रही है.

MSP बढ़ोतरी से किसानों को हौसला

सरकार द्वारा गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 160 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर इसे 2,585 रुपये करने का फैसला भी किसानों के लिए बड़ा प्रोत्साहन साबित हुआ है. इससे किसानों का भरोसा बढ़ा और उन्होंने गेहूं की बुवाई में ज्यादा रुचि दिखाई. इसके साथ ही मानसून के बाद हुई 20 फीसदी अधिक बारिश ने भी रबी बुवाई के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया. खासतौर पर उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में बारिश सामान्य से काफी ज्यादा रही, जिससे मिट्टी में नमी बनी रही.

चना और दालों की स्थिति

रबी की दालों में चना इस बार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. चने का रकबा लगभग 4 फीसदी बढ़कर 84.91 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले साल यह 81.67 लाख हेक्टेयर था. हालांकि यह अभी भी इसके सामान्य रकबे 100.99 लाख हेक्टेयर से कम है. कुल दालों का रकबा मामूली बढ़त के साथ 117.11 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है. मसूर का रकबा थोड़ा बढ़ा है, लेकिन उड़द और मूंग जैसी दालों की बुवाई पिछड़ती नजर आ रही है.

मोटे अनाज और तिलहन का हाल

पोषक अनाजों की बात करें तो मक्का की बुवाई में करीब 11.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जौ का रकबा भी लगभग 5 फीसदी बढ़ा है. हालांकि ज्वार और बाजरा की बुवाई में गिरावट देखी गई है, जबकि रागी में हल्की बढ़त दर्ज की गई. तिलहन फसलों में सरसों ने अच्छा प्रदर्शन किया है. सरसों का रकबा 4 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 84.67 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है, जो इसके सामान्य रकबे से भी अधिक है. दूसरी ओर मूंगफली, तिल और अलसी की बुवाई में कमी देखी गई है, जबकि सूरजमुखी और कुसुम की खेती में बढ़ोतरी हुई है.

आने वाले दिनों की तस्वीर

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ दिनों में ज्यादातर रबी फसलों की बुवाई पूरी हो जाएगी. धान की रबी बुवाई अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन आने वाले हफ्तों में इसमें तेजी आने की उम्मीद है. कुल मिलाकर इस साल रबी सीजन मजबूत शुरुआत के साथ आगे बढ़ रहा है, जो आने वाले महीनों में उत्पादन और किसानों की आमदनी दोनों के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है.

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