जुलाई में महंगाई 8 साल के न्यूनतम स्तर पर, अक्टूबर में ब्याज दर कटौती की बढ़ी उम्मीद
जुलाई में महंगाई घटने की बड़ी वजह रही सब्जियों और दालों के दाम में कमी. दालों और उनसे बने उत्पादों, अनाज, अंडा, चीनी, कन्फेक्शनरी और ट्रांसपोर्ट सेवाओं में गिरावट भी दर्ज की गई. हालांकि, जुलाई में महीने-दर-महीने के आधार पर कुल CPI में 0.9 फीसदी की मामूली बढ़त हुई, जिसमें खाद्य महंगाई 1.8 फीसदी तक बढ़ी.
देश में महंगाई के मोर्चे से एक बड़ी राहतभरी खबर आई है. जुलाई महीने में खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर 1.55 फीसदी पर आ गई, जो पिछले 8 साल में सबसे कम है. जून में यह आंकड़ा 2.10 फीसदी था. सब्जियों और दालों के दाम में गिरावट के साथ-साथ परिवहन, शिक्षा, अंडा, चीनी और अनाज जैसी जरूरी चीजों की कीमतों में भी कमी आई है.
मौजूदा हालात को देखते हुए अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि अगर यह रुझान अगले दो महीने तक जारी रहा, तो अक्टूबर में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है.
सब्जियों और दालों के दाम में राहत
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में महंगाई घटने की बड़ी वजह रही सब्जियों और दालों के दाम में कमी. दालों और उनसे बने उत्पादों, अनाज, अंडा, चीनी, कन्फेक्शनरी और ट्रांसपोर्ट सेवाओं में गिरावट भी दर्ज की गई. हालांकि, जुलाई में महीने-दर-महीने के आधार पर कुल CPI में 0.9 फीसदी की मामूली बढ़त हुई, जिसमें खाद्य महंगाई 1.8 फीसदी तक बढ़ी. सब्जियों के दाम में 11.6 फीसदी की मासिक बढ़त देखने को मिली, लेकिन यह पिछले महीनों की तुलना में नियंत्रित रही है.
अगस्त में भी राहत के आसार
एचडीएफसी बैंक के शुरुआती अनुमानों की बात करें तो, अगस्त के पहले दो हफ्तों में सब्जियों के दाम स्थिर रहे हैं. इससे अगस्त में भी CPI 2 फीसदी से कम रहने की संभावना जताई जा रही है. पूरे वित्त वर्ष 2025-26 में औसत महंगाई दर 2.8 फीसदी रहने का अनुमान है, जिसमें जुलाई-सितंबर तिमाही में 1.8 फीसदी, अक्टूबर-दिसंबर में 2.3 फीसदी और जनवरी-मार्च में 4.4 फीसदी तक रहने की संभावना है.
कोर महंगाई भी घटी
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, खाद्य और ईंधन को छोड़कर बाकी चीजों की महंगाई, जिसे कोर इन्फ्लेशन कहते हैं, जुलाई में घटकर 4 फीसदी पर आ गई. कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज का कहना है कि निकट भविष्य में महंगाई नियंत्रण में रह सकती है, लेकिन मध्यम अवधि में यह 4 फीसदी से ऊपर रहने की संभावना है, इसलिए ब्याज दरों में बड़े पैमाने पर कटौती की गुंजाइश सीमित है.
अमेरिकी टैरिफ और दर कटौती की उम्मीद
अमेरिका द्वारा 27 अगस्त से 50 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा ने भी ब्याज दर कटौती की संभावना को बढ़ा दिया है. आनंद राठी ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री सुजन हाजरा के मुताबिक, यह कदम भारत की जीडीपी वृद्धि को 0.30–0.40 फीसदी तक कम कर सकता है, जिससे आरबीआई पर दर घटाने का दबाव बढ़ेगा. हालांकि, कम महंगाई और स्थिर आर्थिक विकास का मेल, शेयर बाजार और वित्तीय बाजार के लिए सकारात्मक माना जा रहा है.