अर्जेंटीना ने चली स्मार्ट चाल, भारत ने चीन से सोया तेल की खरीद रोकी, जानिए क्या है वजह?
पतंजलि फूड्स, अडानी विल्मर, कारगिल और बंज जैसी बड़ी कंपनियों ने सितंबर-दिसंबर 2025 के लिए चीन से सौदे किए थे. लेकिन अब भारतीय खरीदार वियतनाम और अर्जेंटीना की तरफ अधिक ध्यान दे रहे हैं.
सोया तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस साल एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. भारतीय आयातकों ने बीते महीने चीन से 1.5 लाख टन सोयाबीन तेल खरीदने का सौदा किया था. लेकिन अचानक उन्होंने यह खरीद रोक दी. इसकी वजह है अर्जेंटीना द्वारा कीमतों में कटौती.
दरअसल, अर्जेंटीना भारत के कुल सोयाबीन तेल आयात का लगभग 65 फीसदी हिस्सा देता है. जब भारतीय कंपनियों ने चीन से सौदे किए, तब कीमतें उस स्तर पर थीं. लेकिन अर्जेंटीना ने अपने तेल की कीमत घटा दी, जिससे भारतीय खरीदारों के लिए अर्जेंटीना से खरीदना ज्यादा फायदेमंद हो गया. इसके चलते चीन से किए गए सौदे फिलहाल रुक गए.
अर्जेंटीना से सस्ती कीमतों का असर
मुंबई में डीगम्ड सोयाबीन तेल की लैंडेड कीमत 1,205 डॉलर प्रति टन है, जो पिछले साल की तुलना में 18.5 फीसदी अधिक है. वहीं, आरबीडी पाम तेल की कीमत 1,105 डॉलर प्रति टन है. कीमतों के इस अंतर ने अर्जेंटीना को भारतीय खरीदारों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना दिया.
कंपनियों की स्मार्ट खरीदारी
पतंजलि फूड्स, अडानी विल्मर, कारगिल और बंज जैसी बड़ी कंपनियों ने सितंबर-दिसंबर 2025 के लिए चीन से सौदे किए थे. लेकिन अब भारतीय खरीदार वियतनाम और अर्जेंटीना की तरफ अधिक ध्यान दे रहे हैं.
वियतनाम से शिपमेंट में केवल 10 दिन लगते हैं, जबकि अर्जेंटीना से तेल मंगवाने में 45 से 60 दिन का समय लगता है. इस तरह की “स्मार्ट खरीदारी” अब भारतीय बाजार की नई रणनीति का हिस्सा बन गई है.
नेपाल और अमेरिका से भी बढ़ रहा आयात
नेपाल ने साफ्टा समझौते के तहत भारत को रिफाइंड सोयाबीन, सूरजमुखी और सरसों का तेल निर्यात किया है. नवंबर 2024 से जून 2025 तक नेपाल से भारत में 5.2 लाख टन तेल आया, जिसमें 4.03 लाख टन सोयाबीन तेल शामिल था.
वहीं, अमेरिका ने 2024 में 4.6 लाख टन सोयाबीन तेल भारत को निर्यात किया, जिसमें भारत का हिस्सा लगभग 20 प्रतिशत था. अमेरिका में बायोफ्यूल की बढ़ती मांग के चलते नए क्रशिंग प्लांट भी बनाए जा रहे हैं.
क्या भारत फिर चीन की ओर लौट सकता है?
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डीएन पाठक के अनुसार, अगर चीन की कीमतें अर्जेंटीना के बराबर हो जाती हैं, तो भारत फिर से चीन से खरीदारी कर सकता है. चीन से शिपमेंट में केवल तीन सप्ताह का समय लगता है, जो अर्जेंटीना या वियतनाम की तुलना में बहुत तेज है.
बाजार की नई दिशा
आज भारत के आयातक केवल एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहते. वे कीमत, शिपमेंट समय और आपूर्ति की स्थिरता को ध्यान में रखते हुए अपने विकल्प चुन रहे हैं. यह रणनीति न केवल आर्थिक दृष्टि से सुरक्षित है, बल्कि भविष्य में सोया तेल के आयात को संतुलित और भरोसेमंद बनाने में मदद करेगी.
भारतीय खरीदार अब “स्मार्ट खरीदारी” की नीति अपना रहे हैं और यही वजह है कि अर्जेंटीना और वियतनाम जैसे विकल्पों की तरफ उनका झुकाव बढ़ रहा है.