पीली मटर के आयात पर अब देना होगा 30 फीसदी टैक्स, 1 नवंबर से लागू होंगी नई दरें

कनाडा, रूस और कुछ अन्य देशों से बड़े पैमाने पर सस्ती मटर भारत में आ रही थी. इससे घरेलू बाजार में दालों के दाम नीचे जा रहे थे. किसान अपनी उपज को उचित दामों पर बेच नहीं पा रहे थे और घाटे में जा रहे थे. अब सरकार के इस फैसले से उम्मीद है कि किसानों को उनके उत्पाद की बेहतर कीमत मिल सकेगी.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 30 Oct, 2025 | 10:23 AM

Yellow Pea Import Duty: केंद्र सरकार ने दाल उत्पादकों के हित में एक अहम फैसला लिया है. सरकार ने पीली मटर (Yellow Pea) के आयात पर अब 10 फीसदी आयात शुल्क (Import Duty) और 20 फीसदी कृषि अवसंरचना विकास उपकर (AIDC) लगाने का ऐलान किया है. यानी कुल मिलाकर अब 30 फीसदी टैक्स देना होगा. यह नई दरें 1 नवंबर 2025 से लागू होंगी. यह कदम किसानों को सस्ते विदेशी आयात से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया है.

सस्ते आयात से गिर रहे थे दाम

पिछले कुछ महीनों से किसान संगठनों की मांग थी कि सरकार पीली मटर के ड्यूटी-फ्री आयात पर रोक लगाए. कनाडा, रूस और कुछ अन्य देशों से बड़े पैमाने पर सस्ती मटर भारत में आ रही थी. इससे घरेलू बाजार में दालों के दाम नीचे जा रहे थे. किसान अपनी उपज को उचित दामों पर बेच नहीं पा रहे थे और घाटे में जा रहे थे. अब सरकार के इस फैसले से उम्मीद है कि किसानों को उनके उत्पाद की बेहतर कीमत मिल सकेगी.

खरीफ सीजन से पहले बड़ा कदम

सरकार का यह फैसला खरीफ सीजन से ठीक पहले आया है, जब किसान दालों की बुवाई और कटाई की तैयारी में जुटे हैं. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय किसानों के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा. सरकार चाहती है कि घरेलू उत्पादन बढ़े और भारत दालों के मामले में आत्मनिर्भर (Self-reliant) बने.

कृषि अवसंरचना विकास उपकर क्या है?

कृषि अवसंरचना विकास उपकर (AIDC) वह टैक्स है जो कृषि ढांचे को मजबूत करने के लिए लगाया जाता है. सरकार इस उपकर से मिलने वाले राजस्व का उपयोग भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण सुविधाओं को बेहतर बनाने में करती है. पीली मटर पर यह 20 फीसदी उपकर लगाने से न सिर्फ किसानों की रक्षा होगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में निवेश भी बढ़ेगा.

आयात पर लगाम से बढ़ेगा आत्मनिर्भर भारत का सपना

भारत हर साल बड़ी मात्रा में दालें आयात करता है ताकि घरेलू मांग पूरी की जा सके. हालांकि, जब विदेशों से सस्ती दालें आती हैं तो देशी किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. इस फैसले से अब विदेशी दालें महंगी होंगी, जिससे देश के भीतर उत्पादकों को फायदा होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत को दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है.

किसानों ने फैसले का किया स्वागत

किसान संगठनों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि यह निर्णय लंबे समय से लंबित था. पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के दाल उत्पादक किसानों ने इसे “राहत भरा कदम” बताया है. उनका मानना है कि इससे घरेलू बाजार स्थिर रहेगा और दामों में अस्थिरता कम होगी.

बाजार पर होगा असर

आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस कदम से आयातित मटर की कीमतों में बढ़ोतरी होगी. इससे उपभोक्ताओं को थोड़ी महंगी दालें मिल सकती हैं, लेकिन दीर्घकाल में यह किसानों और देश दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा. क्योंकि जब किसान मजबूत होंगे, तो उत्पादन भी बढ़ेगा और दाम स्थिर रहेंगे.

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