पूरी दुनिया में रिकॉर्ड स्तर पर गिरे दालों के दाम, आयात बढ़ने से किसानों का नुकसान.. जानें रेट

पिछले एक महीने में वैश्विक बाजार में दालों के दाम में 5-20 फीसदी तक गिरावट आई है, जिससे भारतीय किसानों पर असर पड़ सकता है. कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीकी देशों की बंपर फसल और सस्ते दामों के कारण भारतीय बाजार में आयातित दालें MSP से भी नीचे बिक रही हैं.

Kisan India
आगरा | Updated On: 28 Sep, 2025 | 02:44 PM

Pulse cultivation: दुनिया भर में दालों के दाम रिकॉर्ड स्तर तक गिर गए हैं. खासकर कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, रूस और अफ्रीकी देशों के बीच मार्केट शेयर पाने की होड़ के चलते बीते एक महीने में दालों की कीमतों में 5 फीसदी से 20 फीसदी तक की गिरावट आई है. इन देशों में मटर और मसूर की फसल अच्छी हुई है, जिससे सप्लाई बढ़ गई है. ट्रेड एनालिस्ट्स का कहना है कि यह स्थिति भारतीय किसानों के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि यहां पर भी दालों की फसल कट रही है या कटने वाली है. अगस्त-सितंबर की भारी बारिश से कई जगहों पर उड़द, तूर, मसूर और मोठ दाल की फसल को नुकसान भी हुआ है. ऐसे में आयात बढ़ने से भारतीय किसानों को नुकसान हो सकता है.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक,  एक व्यापारी ने कहा कि इस समय दुनियाभर से आयात की जा रही दालों के दाम  सबसे निचले स्तर पर हैं. कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और रूस से आने वाली दालों के दामों में भी कोई खास फर्क नहीं है. खासतौर पर पीली मटर के रेट रिकॉर्ड लो पर हैं. व्यापारियों के मुताबिक, 2025-26 मार्केटिंग सीजन (अगस्त से जुलाई) के लिए कनाडा में सूखी मटर (dry peas) की बुवाई 9 फीसदी बढ़कर 14.2 लाख हेक्टेयर हो गई है. इस बार कनाडा में पीली मटर का उत्पादन करीब 32 लाख टन और हरी मटर का उत्पादन 5.5 लाख टन होने का अनुमान है. ऐसे में कनाडा से 20 लाख टन से ज्यादा मटर के निर्यात की संभावना है.

किस देश में कितना होगा चने का उत्पादन

इसके अलावा, कनाडा की चने की फसल 3.4 लाख टन से ज्यादा रहने का अनुमान है और इसमें से 2.35 लाख टन चना एक्सपोर्ट किया जा सकता है, जो अब तक का रिकॉर्ड हो सकता है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया में चने का उत्पादन 21 लाख टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले साल से 7 फीसदी कम है. 2025-26 में मसूर दाल की पैदावार में भारी बढ़ोतरी का अनुमान है. ऑस्ट्रेलिया में मसूर का उत्पादन 34 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 17 लाख टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले 10 सालों के औसत से 95 फीसदी ज्यादा है. यह बढ़ोतरी रिकॉर्ड स्तर पर बुवाई होने की वजह से होगी, ऐसा ऑस्ट्रेलिया के कृषि, मत्स्य और वानिकी विभाग का कहना है.

कितनी है उड़द दाल की कीमत

कनाडा में भी मसूर की अच्छी पैदावार का अनुमान है. स्टैटिस्टिक्स कनाडा के मुताबिक, इस साल मसूर का उत्पादन  27.5 लाख टन तक हो सकता है, जो पिछले 12 सालों में सबसे ज्यादा होगा. इन सबके अलावा अमेरिका, रूस, तंजानिया, मलावी, मोजाम्बिक, म्यांमार और ब्राजील जैसे देशों से भी दालों की भारी खेप अंतरराष्ट्रीय बाजार में आने वाली है. दालों में सिर्फ उड़द की कीमतें फिलहाल स्थिर बनी हुई हैं. म्यांमार में इसका स्टॉक कम हो गया है, जबकि भारत में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में फसल पर असर पड़ा है. इसलिए उड़द की कीमतों में गिरावट नहीं आई है. ग्लोबल पल्स कॉन्फेडरेशन (GPC) के मुताबिक, म्यांमार में अच्छी क्वालिटी की उड़द 77,240  रुपये टन पर मिल रही है, जबकि, ब्राजील से 80,000 रुपये टन की दर से ऑफर की जा रही है.

इन दालों की कीमत में गिरावट

भारतीय कृषि मंत्रालय की यूनिट के आंकड़ों के अनुसार, उड़द को छोड़कर बाकी सभी दालों की घरेलू कीमतें  आयात के दामों से कम हैं. टूर, उड़द, मसूर, पीली मटर और चना सभी दालों की लैंडेड कीमतें (आयात के बाद भारत में पहुंची कीमत) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे हैं. पिछले एक महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में दालों के दाम तेजी से गिर गए हैं, जिससे भारतीय किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. तूर दाल की कीमतों में 5 फीसदी की गिरावट आई है, जहां म्यांमार इसे 61,240 रुपये प्रति टन में बेच रहा है, वहीं अफ्रीकी देश तंजानिया 46,150 रुपये, मोजाम्बिक 47,940 रुपये और मलावी 45,275 रुपये टन ऑफर कर रहे हैं. मसूर दाल के रेट भी काफी गिरे हैं. कनाडा ने 16 फीसदी की कटौती कर इसे 47,925 रुपये और ऑस्ट्रेलिया ने 18 फीसदी कम करके 47,050 रुपये प्रति टन कर दिया है. इसी तरह, चना अब 48,730 रुपये में मिल रहा है, जबकि पहले इसका रेट 69,000 रुपये था.

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Published: 28 Sep, 2025 | 02:40 PM

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