3 साल के सबसे अधिकतम स्तर पर पहुंचा भारत में गेहूं और चावल का स्टॉक

पिछले तीन सालों में कमजोर फसल और FCI की कम खरीदारी के कारण गेहूं की कीमतों में इजाफा देखने को मिला. लेकिन अब भंडार तीन सालों में सबसे ज्यादा स्तर पर पहुंच गया है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 18 Apr, 2025 | 11:23 AM

भारत में गेहूं की कीमतों को लेकर जो चिंता कुछ समय से बनी हुई थी, अब उसमें थोड़ी राहत देखने को मिल रही है. दरअसल, इस महीने की शुरुआत में देश के सरकारी गोदामों में रखा गया गेहूं पिछले साल के मुकाबले करीब 57% ज्यादा हो गया है. यह भंडार अब तीन सालों में सबसे ज्यादा स्तर पर पहुंच गया है.

सरकारी गोदामों में जब गेहूं की भरपूर मात्रा में स्टॉक जमा हो गया, तो बाजार में इसकी उपलब्धता को लेकर जो बेचैनी थी, वो अब कम होती नजर आ रही है. खपत से ज्यादा भंडारण होने का फायदा यह हुआ है कि बाजार में सप्लाई बनी हुई है, जिससे दाम अब धीरे-धीरे नीचे आ रहे हैं. यह स्थिति न केवल उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी है, बल्कि इससे सरकार को भी खाद्य मूल्य नियंत्रण में मदद मिलेगी.

दरअसल, 1 अप्रैल को सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडार 11.8 मिलियन मीट्रिक टन के आस पास था, जो सरकार के लक्ष्य 7.46 मिलियन टन से कहीं अधिक है. पिछले साल के मुकाबले इस बार गेहूं का भंडार 4 मिलियन टन ज्यादा है. इससे यह उम्मीद की जा रही है कि अगर खाद्य निगम (FCI) इस साल गेहूं खरीदने के लक्ष्य पूरा नहीं कर पाता, तो भी खुले बाजार में पर्याप्त गेहूं उपलब्ध रहेगा. FCI ने साल 2025 में 3.1 करोड़ टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है. पिछले साल उसने 30-32 मिलियन टन खरीदने का लक्ष्य रखा था, लेकिन केवल 26.6 मिलियन टन ही खरीद पाया था.

पिछले तीन सालों में कमजोर फसल और FCI की कम खरीदारी के कारण गेहूं की कीमतों में इजाफा देखने को मिला. साथ ही ऐसी उम्मीद भी जताई जा रही थी कि भारत को 7 साल बाद गेहूं का आयात करना पड़ सकता है. हालांकि, सरकार अब तक आयात के प्रस्ताव को ठुकरा चुकी है.

रिकॉर्ड स्तर पर चावल के भंडार

इस साल भारत के सरकारी गोदामों में चावल का भंडार 63.09 मिलियन टन तक पहुंच चुका है, जो सरकार के लक्ष्य 13.6 मिलियन टन से कहीं ज्यादा है. इस बढ़े हुए चावल के भंडार से भारत को अपने घरेलू आपूर्ति को सुरक्षित रखते हुए अधिक चावल का निर्यात करने में मदद मिलेगी.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है और वैश्विक चावल निर्यात का लगभग 40% हिस्सा भारत से होता है. अब सरकार इस भंडार को देखते हुए निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयासों में जुटी है, ताकि नई फसल से ज्यादा चावल न खरीदना पड़े.

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