केंद्र ने 10 फीसदी तक क्षतिग्रस्त धान खरीद की मंजूरी दी, फैसला लेने में देरी पर किसान-मिलर्स नाराज
अगस्त-सितंबर में भारी बारिश और बाढ़ के चलते फसल को हुए नुकसान के बाद पंजाब ने केंद्र से क्वालिटी मानकों में ढील देने का बार-बार आग्रह किया था. केंद्रीय टीम ने 13 से 17 अक्टूबर के बीच मंडियों का निरीक्षण कर नमूने एकत्र किए थे, लेकिन मानकों में ढील देने को मंजूरी का फैसला लेने में देरी की गई है.
बेमौसम बारिश और बाढ़ की स्थितियों ने धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. अक्तूबर में हुई बारिश से कटाई के समय धान का पौधा भीग गया और जलभराव की वजह से और हवा के झोंकों से नीचे गिर गया. इससे क्वालिटी में फर्क पहुंचा है. जब धान की सरकारी खरीद शुरू हुई तो मंडियों में किसानों को सही क्वालिटी न होने और नमी की अधिकता बताकर कम भाव में खरीद हुई या फिर उस धान की खरीद ही नहीं की गई है. अब केंद्र सरकार ने 10 फीसदी क्षतिग्रस्त धान की खरीद की मंजूरी दी है. लेकिन, केंद्र की ओर से यह निर्णय लेने में देरी की गई है और इसकी वजह से किसानों में नाराजगी. क्योंकि, धान की खरीद लगभग पूरी हो चुकी है.
केंद्र सरकार ने धान खरीद मानकों में लंबे समय से प्रतीक्षित ढील की घोषणा की, लेकिन यह निर्णय अब आया है जब खरीद प्रक्रिया समाप्त होने वाली है. पंजाब में 150 लाख मीट्रिक टन (LMT) से अधिक धान की खरीद हो चुकी है और मंडियों में अब केवल 5-10 लाख मीट्रिक टन धान आने की उम्मीद है. अधिकारियों और स्टेकहोल्डर्स ने कहा कि ये ढील बहुत कम है और बहुत देर से दी गई है.
अगस्त-सितंबर में भारी बारिश और बाढ़ के कारण फसल को हुए व्यापक नुकसान के बाद पंजाब ने केंद्र से गुणवत्ता मानदंडों में ढील देने का बार-बार आग्रह किया था. एक केंद्रीय टीम ने 13 से 17 अक्टूबर के बीच मंडियों का निरीक्षण किया था और नमूने एकत्र किए थे, लेकिन मानकों में ढील दने की यह घोषणा अब हुई है. अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय टीम की ओर से लिए गए नमूनों में 7 से 22 फीसदी तक नुकसान दिखाया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान गुरदासपुर में हुआ है. यह समस्या मानसून के बाद हुई बेमौसम बारिश और बाढ़ के कारण उत्पन्न हुई है.
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धान की क्षतिग्रस्त सीमा 5 से बढ़ाकर 10 फीसदी की गई
संशोधित मानकों के तहत क्षतिग्रस्त, रंगहीन, अंकुरित और घुन लगे अनाज की अनुमति सीमा 5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दी गई है. हालांकि, इसके भीतर क्षतिग्रस्त, अंकुरित या घुन लगे अनाज का हिस्सा 4 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता. ये छूट मौजूदा खरीफ सीजन 2025-26 के लिए पूरे पंजाब और चंडीगढ़ में लागू की गई है.
ट्रेडर्स और मिलर्स ने नुकसान की चिंता जताई
पंजाब राइस इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने कहा है कि हमें हर 100 किलो धान से 67 किलो चावल देना होगा, हालांकि ज्यादातर धान खराब या बदरंग हो चुका है. कहा गया कि हमें आउट टर्न अनुपात में छूट की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. इसलिए हम इस मामले को केंद्र के सामने उठाएंगे. इसके अलावा छूट वाले मानकों के तहत खरीदे गए धान को अलग से इकट्ठा करने और खरीद स्थलों पर सुखाने की सुविधा बनाने की जरूरत है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी भी नुकसान या मात्रा की कमी की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी और केंद्र की ओर से इसकी भरपाई नहीं की जाएगी. इससे व्यापारियों और मिलर्स को नुकसान होगा.
किसानों को लाभ देने के लिए पहले आना चाहिए था फैसला
केंद्र के क्षतिग्रस्त धान खरीद में छूट के फैसले से किसानों को ज्यादा लाभ नहीं होने वाला है. क्योंकि ज्यादातर उपज पहले ही बिना किसी कटौती के 2390 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिक चुकी है. किसानों के स्टॉक में अब केवल खुद की खपत भर के लिए ही धान बचा है. किसानों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि केंद्र को इस छूट देने के फैसले को 2-3 सप्ताह पहले मंजूरी देनी चाहिए थी.