MSP से कम रेट पर कपास बेचने को मजबूर हुए किसान, 1400 रुपये क्विंटल गिरा रेट

नागपुर के कपास किसान MSP से कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं। CCI की MSP खरीद शुरू हो गई है, लेकिन निजी व्यापारी 1,400 रुपये प्रति क्विंटल कम दे रहे हैं। Kapas Kisan ऐप पर रजिस्ट्रेशन जरूरी है। किसानों की सुविधा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए खरीद केंद्र खोले गए हैं।:

नोएडा | Updated On: 16 Nov, 2025 | 12:19 PM

Maharashtra News: महाराष्ट्र के नागपुर जिले में कपास किसानों को उचित रेट नहीं मिल रहा है. वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम रेट पर अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं. हालांकि, MSP पर कपास की सरकारी खरीद शुरू हो गई है. इसके बावजूद निजी व्यापारी कपास किसानों को MSP से 1,400 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम दे रहे हैं. इस सीजन में लंबी रुई की MSP 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है, जबकि निजी बाजार में कीमतें 6,700- 6,800 रुपये प्रति क्विंटल हैं. कपास की आवक, चाहे CCI के MSP केंद्रों में हो या निजी बाजार में, दोनों जगह कम है. खास बात यह है कि कीमतें तब से गिर गई हैं.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान अब CCI की MSP खरीद  पर भरोसा कर रहे हैं. इस साल CCI ने कपास बेचने के लिए किसानों को Kapas Kisan ऐप पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया है. इसका मकसद सिर्फ असली किसानों को ही बिक्री की अनुमति देना है, क्योंकि ऐप पर जमीन और जरूरी दस्तावेज अपलोड करना पड़ता है. अब तक पूरे राज्य में 4.89 लाख किसान रजिस्टर हुए हैं, जो वास्तविक कपास उगाने वाले किसानों की संख्या से बहुत कम है. CCI अधिकारियों के अनुसार, कपास बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन की तारीख अब 31 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है. इससे किसानों को जल्दी में केंद्रों तक जाने की जरूरत नहीं होगी और वे अपनी सुविधा अनुसार स्लॉट बुक कर सकते हैं. पूरे राज्य में अब तक CCI ने 168 खरीद केंद्र खोले हैं और 9,000 बॉल्स (45,000 क्विंटल) कपास खरीदी है.

निजी बाजार में कपास की आवक है कम

कहा जा रहा है कि निजी बाजार में कपास की आवक कम है क्योंकि किसान CCI को बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं. हालांकि, कई किसान ऐप के जरिए रजिस्ट्रेशन की जटिलता और बेमौसम बारिश के कारण उच्च नमी वाले कपास  को लेकर देरी कर रहे हैं. CCI 12 फीसदी से ज्यादा नमी वाली कपास नहीं लेता. रजिस्ट्रेशन के बाद किसानों की जानकारी को राज्य सरकार द्वारा भी पुष्टि करनी होती है.

3,000 हेक्टेयर कपास की खेती

यवतमाल के एक किसान गजानन सिंगवरार ने कहा कि उन्हें ऐप पर रजिस्टर होने में आसानी हुई, लेकिन कई किसान इसे जटिल पा रहे हैं. फिर भी, इस साल कम दामों के कारण CCI को बेचना ही बेहतर विकल्प लगता है. CCI केंद्र सभी क्षेत्रों में नहीं हैं, इसलिए कुछ किसान मजबूरन निजी व्यापारियों  को बेच रहे हैं. कई बार, जो व्यापारी तुरंत उधार देते हैं, वे बाद में अपनी राशि कपास बिकने के बाद वसूल लेते हैं. CCI के एक अधिकारी ने कहा कि खरीद केंद्र ऐसे इलाकों में खोले गए हैं, जहां कम से कम 3,000 हेक्टेयर कपास की खेती होती है और वहां जीनिंग मिल मौजूद हो. यवतमाल जिले में लगभग 18 केंद्र खोले गए हैं, जबकि अमरावती में 14 केंद्र हैं. ये दोनों जिले कपास उगाने वाले प्रमुख इलाके हैं.

Published: 16 Nov, 2025 | 12:10 PM

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