बासमती नाम पर भारत को नहीं मिला विशेष अधिकार, इन दो देशों की अदालतों ने सुनाया बड़ा फैसला

दोनों देशों की अदालतों ने भारत की वह मांग खारिज कर दी, जिसमें भारत चाहता था कि बासमती नाम पर सिर्फ उसका अधिकार माना जाए. भारत ने TRIPS समझौते का सहारा लिया, लेकिन अदालतों ने कहा कि जब तक किसी देश का अपना कानून इसकी अनुमति न दे, TRIPS लागू नहीं हो सकता.

नई दिल्ली | Published: 20 Nov, 2025 | 09:57 AM

TRIPS Dispute: भारत ने दुनियाभर में अपनी बासमती चावल की पहचान को सुरक्षित रखने की कोशिश की, लेकिन इसमें उसे दो देशों न्यूजीलैंड और केन्या से बड़ा झटका मिला है. दोनों देशों की अदालतों ने भारत की वह मांग खारिज कर दी, जिसमें भारत चाहता था कि बासमती नाम पर सिर्फ उसका अधिकार माना जाए. भारत ने TRIPS समझौते का सहारा लिया, लेकिन अदालतों ने कहा कि जब तक किसी देश का अपना कानून इसकी अनुमति न दे, TRIPS लागू नहीं हो सकता.

भारत चाहता क्या था?

न्यूजीलैंड की अदालत ने क्या कहा?

न्यूजीलैंड हाई कोर्ट के जज जॉन बोल्ट ने साफ कहा कि TRIPS समझौते के आधार पर कोई GI टैग तभी लागू होगा जब वह उनके घरेलू कानूनों के अनुरूप हो. उन्होंने कहा“TRIPS देशों को मजबूर नहीं करता कि वे दूसरे देश के GI टैग को मानें, अगर वह उनके अपने कानूनों के नियमों को पूरा नहीं करता.”

न्यूजीलैंड के वकीलों ने कहा कि उनके देश का Fair Trading Act 1986 पहले से ही उपभोक्ताओं को गलत जानकारी देने पर रोक लगाता है, इसलिए बासमती नाम पर किसी अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत नहीं है.

अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि जब एपीडा खुद कहता है कि पाकिस्तान भी बासमती शब्द का इस्तेमाल कर सकता है, तो फिर भारत अकेले अधिकार कैसे मांग सकता है?

केन्या अदालत का फैसला भी ऐसा ही रहा

केन्या की कोर्ट ऑफ अपील ने भी एपीडा की अपील खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि TRIPS को सीधे अदालत में लागू नहीं किया जा सकता. इसके लिए पहले देश के अपने Trade Marks Act के तहत प्रक्रिया पूरी करनी होती है.

जजों ने कहाअंतरराष्ट्रीय समझौते तभी लागू होते हैं जब उन्हें देश के अपने कानून में जगह दी जाए. TRIPS सिर्फ दिशा देता है, तरीका हर देश अपने हिसाब से अपनाता है. भारत TRIPS का हवाला देकर किसी शब्द के ट्रेडमार्क को रोक नहीं सकता.

भारत के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण था?

बासमती चावल भारत का एक खास और महंगा निर्यात उत्पाद है. GI टैग मिलने से फायदा होता

भारत को नई रणनीति बनानी होगी

इन फैसलों से साफ है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बासमती को सुरक्षित करना आसान नहीं है. हर देश के अपने नियम हैं, और GI टैग तभी मान्यता पाता है जब वह उन नियमों में फिट बैठे. भारत को अब न्यूजीलैंड और केन्या जैसे देशों में GI सुरक्षा पाने के लिए उनके स्थानीय कानूनों का पालन करते हुए नए सिरे से कोशिश करनी होगी. बासमती को दुनिया का एक मजबूत ब्रांड बनाने के लिए भारत को कानूनी, व्यापारिक और कूटनीतिक तीनों मोर्चों पर लगातार काम करना होगा.

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