भारतीय नींबू ने ब्रिटेन में मचाया धमाल! पहली बार GI टैग वाले ‘इंडी’ और ‘पुलियानकुडी’ लाइम का हुआ निर्यात

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही एक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू करने जा रही है. इस प्रक्रिया के तहत वे किसान जो अपनी फसल सीधे सरकार को बेचना चाहते हैं, उन्हें पंजीकरण करना होगा. अब किसान को नुकसान उठाने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार उनके लिए पूरी तरह तैयार है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 29 Oct, 2025 | 11:55 AM

GI tagged lime export: भारत ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया है कि हमारे खेतों की खुशबू अब सिर्फ देश तक सीमित नहीं रही. पहली बार भारत से GI टैग वाले नींबू, टक के इंडी लाइम और तमिलनाडु के पुलियानकुडी लाइम हवाई जहाज के जरिए सीधे यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) भेजे गए हैं. ह सिर्फ एक निर्यात नहीं, बल्कि भारतीय किसानों की मेहनत और मिट्टी की महक को दुनिया तक पहुंचाने वाली बड़ी उपलब्धि है.

किसानों के चेहरे पर आई मुस्कान

इस उपलब्धि को साझा करते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा हमारे किसानों के लिए ये बहुत बड़ी खुशखबरी है! पहली बार कर्नाटक और तमिलनाडु के GI टैग वाले नींबू ब्रिटेन को भेजे गए हैं. यह कदम किसानों को नई ताकत देगा और भारत के कृषि उत्पादों की पहचान को दुनिया के बाजारों तक पहुंचाएगा.”

इस पहल को एपीडा (APEDA) यानी एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी ने सफल बनाया है. एपीडा लंबे समय से भारत के कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहा है.

GI टैग क्यों है खास?

GI टैग यानी Geographical Indication किसी ऐसे उत्पाद को दिया जाता है जो अपने इलाके की पहचान से जुड़ा हो. मतलब, जिस जगह की मिट्टी, मौसम और परंपरा से उसका स्वाद या गुणवत्ता खास बनती हो. से दार्जिलिंग की चाय, बनारस की साड़ी या नागपुर का संतरा ये सब GI टैग से पहचाने जाते हैं.

इसी तरह, कर्नाटक का इंडी लाइम और तमिलनाडु का पुलियानकुडी लाइम अपनी तेज खुशबू, खट्टे स्वाद और लंबे समय तक टिके रहने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. अब GI टैग मिलने के बाद इनकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है.

विदेशों तक बढ़ रहा है भारत का स्वाद

यह पहली बार नहीं है जब भारत का नींबू विदेश गया हो. कुछ समय पहले, कर्नाटक के विजयपुरा जिले से GI टैग वाले स्वदेशी इंडी लाइम की तीन मीट्रिक टन खेप संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भेजी गई थी. ह प्रयोग सफल रहा, और अब ब्रिटेन तक पहुंचने से भारतीय नींबू की वैश्विक मांग और बढ़ने की उम्मीद है.

किसानों की आय बढ़ने की उम्मीद

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि GI टैग वाले उत्पादों की कीमतें सामान्य उत्पादों की तुलना में कई गुना अधिक होती हैं, क्योंकि इन्हें “असली” और “उच्च गुणवत्ता वाला” माना जाता है. इससे किसानों को बेहतर दाम मिलते हैं और वे अपने क्षेत्र के पारंपरिक फलों-सब्जियों की खेती जारी रखने के लिए प्रेरित होते हैं.

कई किसान संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है. उनका कहना है कि अगर इसी तरह GI टैग वाले उत्पादों को बढ़ावा मिलता रहा, तो ग्रामीण इलाकों में रोजगार और आमदनी दोनों में सुधार होगा.

भारत का बढ़ता वैश्विक कदम

इस उपलब्धि के साथ ही केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि मारोस शेफकोविक से मुलाकात की. दोनों ने भारत-यूरोपीय संघ के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को आगे बढ़ाने पर चर्चा की. स समझौते से भारतीय कृषि उत्पादों को यूरोप के बाजारों तक और आसानी से पहुंचने का रास्ता खुलेगा.ब्रिटेन को भेजा गया यह नींबू सिर्फ एक व्यापारिक सौदा नहीं, बल्कि भारत के किसानों के लिए गर्व की बात है.

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Published: 29 Oct, 2025 | 11:53 AM

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