PMFBY में बड़ा बदलाव: अब जानवरों के हमले और बाढ़ से खराब हुई फसल पर भी मिलेगा मुआवजा

कई राज्यों में जंगली जानवरों और अचानक आई बाढ़ के कारण फसलें भारी तौर पर बर्बाद हो रही थीं. लेकिन यह नुकसान अब तक बीमा सुरक्षा के अंतर्गत नहीं आता था. अब यह फैसला लाखों किसानों की चिंता कम करेगा और संकट की घड़ी में आर्थिक मदद सुनिश्चित करेगा.

नई दिल्ली | Published: 19 Nov, 2025 | 08:55 AM

देश भर के किसानों के लिए मंगलवार का दिन बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ. केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में बड़ा बदलाव करते हुए घोषणा की कि अगले खरीफ सीजन से जंगली जानवरों के हमले से होने वाला फसल नुकसान और बारिश या बाढ़ के कारण धान की फसल के डूबने से होने वाली क्षति को भी बीमा के दायरे में शामिल किया जाएगा.

किसान लंबे समय से इस मांग को उठा रहे थे, क्योंकि कई राज्यों में जंगली जानवरों और अचानक आई बाढ़ के कारण फसलें भारी तौर पर बर्बाद हो रही थीं. लेकिन यह नुकसान अब तक बीमा सुरक्षा के अंतर्गत नहीं आता था. अब यह फैसला लाखों किसानों की चिंता कम करेगा और संकट की घड़ी में आर्थिक मदद सुनिश्चित करेगा.

पीएम फसल बीमा योजना क्या है और कैसे मिलती है सहायता?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत 2016 में की गई थी ताकि किसानों को प्राकृतिक आपदा, कीट और बीमारी से होने वाले नुकसान की भरपाई मिल सके. योजना के तहत किसानों को सिर्फ नाममात्र का प्रीमियम देना होता है रबी फसलों पर 1.5 फीसदी, खरीफ पर 2 फीसदी और बागवानी व नगदी फसलों पर 5 फीसदी प्रीमियम. बाकी राशि केंद्र और राज्य सरकारें आधी-आधी सब्सिडी के रूप में वहन करती हैं.

लेकिन जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने जैसी घटनाएं अब तक बीमा के दायरे में शामिल नहीं थीं, जिससे किसानों को विशाल आर्थिक हानि झेलनी पड़ती थी.

अब जंगली जानवरों से फसल नुकसान भी बीमा सुरक्षा में शामिल

कई राज्यों में हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदरों के खेतों में घुसकर फसल नष्ट करने की घटनाएं बढ़ रही हैं. कृषि मंत्रालय के अनुसार, यह नुकसान विशेष रूप से जंगलों के पास बसे गांवों, पहाड़ी क्षेत्रों और वाइल्डलाइफ कॉरिडोर के आसपास अधिक होता है.

सरकार ने अब इसे ‘लोकलाइज्ड रिस्क’ के अंतर्गत पाचवें ऐड-ऑन कवर के रूप में मंजूरी दे दी है. राज्यों को यह तय करना होगा कि किन जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान को शामिल किया जाएगा तथा किन जिलों को जोखिम वाले क्षेत्र घोषित किया जाएगा.

किसानों को 72 घंटे में रिपोर्ट करना होगा नुकसान

योजना के तहत किसानों को फसल नुकसान की सूचना 72 घंटों के भीतर ‘क्रॉप इंश्योरेंस ऐप’ पर फोटो के साथ अपलोड करनी होगी. हालाकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह समयसीमा दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि नेटवर्क समस्या और खेती से जुड़े कामों के कारण सूचना देना कठिन हो सकता है. कई विशेषज्ञ इस चिंता को भी उठा रहे हैं कि बीमा कंपनियां यह कहते हुए दावा खारिज न कर दें कि रिपोर्ट समय पर नहीं मिली.

मंत्रालय का कहना है कि रिपोर्टिंग की प्रक्रिया को पारदर्शी और वैज्ञानिक बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है.

धान की डूबी फसल भी अब मिलेगी बीमा सुरक्षा

कई राज्यों में भारी बारिश और नदियों के उफान से धान की फसल अक्सर डूब जाती है. इससे किसानों को साल-दर-साल भारी नुकसान होता है. 2018 में पडी इनंडेशन (धान डूबने) को इस योजना से बाहर कर दिया गया था क्योंकि कंपनियों को बड़ी मात्रा में दावे चुकाने पड़ रहे थे और नुकसान का आकलन कठिन था. लेकिन इसके बाहर होने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को सुरक्षा नहीं मिल पाती थी.

अब सरकार ने धान के डूबने से होने वाली क्षति को फिर से योजना में शामिल कर लिया है, जिससे तमिलनाडु, बंगाल, असम, बिहार, ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के किसानों को सीधे लाभ मिलेगा.

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