उड़द की कीमतों पर दोहरी मार, भारी आयात और फसल की भरमार से दामों में गिरावट
उड़द की कीमत करीब 95 रुपये प्रति किलो थी, जो अब गिरकर 72 रुपये प्रति किलो पर आ गई है. जिन मिल मालिकों ने पहले से उड़द स्टॉक किया था, उन्हें अब घाटा हो रहा है.

उड़द की दाल खाने की थाली का एक जरूरी हिस्सा है, लेकिन इस समय बाजार में इसके दाम लगातार गिरते जा रहे हैं. इसकी वजह है देश में उड़द की भारी पैदावार और म्यांमार जैसे देशों से बढ़ता आयात. जहां एक तरफ उपभोक्ता राहत महसूस कर रहे हैं, वहीं किसानों और व्यापारियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है. इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि उड़द के दाम क्यों गिर रहे हैं, आगे क्या हो सकता है, और इससे किसे फायदा या नुकसान होगा.
म्यांमार से उड़द का रिकॉर्ड आयात
म्यांमार ने इस साल करीब 6.5 लाख टन के करीब उड़द दाल पैदा हुई है, जो पिछले साल से कहीं ज्यादा है. जानकारों के मुताबिक, इस बार भारत म्यांमार से पहले से ज्यादा उड़द मंगवा सकता है. पिछले साल (2023-24) में भारत ने 6.24 लाख टन उड़द आयात की थी, लेकिन इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 8.23 लाख टन तक पहुंच सकता है, यानी करीब 32 फीसदी ज्यादा.
25% तक सस्ती हुई उड़द
नवंबर 2023 में उड़द की कीमत करीब 95 रुपये प्रति किलो थी, जो अब गिरकर 72 रुपये प्रति किलो पर आ गई है. लगातार गिरती कीमतों के कारण व्यापारी बहुत सावधानी से खरीदारी कर रहे हैं, और जिन मिल मालिकों ने पहले स्टॉक किया था, उन्हें अब घाटा हो रहा है.
रबी और जायद फसलें बढ़ा रही हैं दबाव
हालांकि खरीफ सीजन में बारिश ज्यादा होने के कारण उड़द की फसल में 20% की गिरावट आई थी, लेकिन रबी फसल ने इस कमी को पूरा कर दिया. अब जल्द ही गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से जायद फसल की आवक भी शुरू होने वाली है, जिससे उड़द की कीमतों पर और भी दबाव आएगा.
म्यांमार के दाम भी घटे
म्यांमार में भी उड़द के दाम गिरे हैं. पहले जो उड़द 1,200 डॉलर प्रति टन थी, वह अब 880-890 डॉलर प्रति टन के बीच आ गई है. इसकी वजह है वहां की रिकॉर्ड फसल और निर्यातकों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा.
मई में और गिर सकते हैं दाम
विशेषज्ञों का मानना है कि मई महीने में उड़द की कीमतें और गिर सकती हैं. म्यांमार, भारत और ब्राजील से बढ़ती सप्लाई के कारण बाजार में भारी दबाव बना रहेगा. साथ ही, बाजार की दिशा इस पर भी निर्भर करेगी कि म्यांमार भारत को किस दाम पर उड़द भेजता है.
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