किसानों के लिए बड़ी चेतावनी, भारी बारिश में नुकसान से बचने के लिए तुरंत करें ये उपाय

उत्तर प्रदेश में आगामी सप्ताह भारी वर्षा की संभावना है. किसानों को फसल, बागवानी व पशुपालन में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. जलभराव से बचाव, सही छिड़काव व सरकारी योजनाओं की जानकारी आवश्यक है.

नोएडा | Published: 22 Aug, 2025 | 10:59 AM

उत्तर प्रदेश में मानसून एक बार फिर पूरी रफ्तार में लौट आया है. आगामी सप्ताह (22 से 28 अगस्त) के लिए मौसम विभाग की भविष्यवाणी स्पष्ट संकेत दे रही है कि प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में भारी वर्षा का सिलसिला जारी रहेगा. इस बदलते मौसम के बीच किसान भाइयों के लिए सतर्क रहना न सिर्फ जरूरी है बल्कि उनके फसल, पशुधन और परिवार की सुरक्षा का आधार भी है. 21 अगस्त को डा. संजय सिंह (महानिदेशक, उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद) की अध्यक्षता में आयोजित वर्ष 2025-26 की तेरहवीं क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की बैठक में मौसम के मद्देनज़र किसानों को कृषि प्रबंधन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं. आइए जानते हैं इस सप्ताह के लिए प्रमुख कृषि परामर्श और सावधानियां.

भीषण वर्षा के बीच खेती: क्या करें, क्या न करें

इस सप्ताह 21 से 25 अगस्त के बीच प्रदेश के विभिन्न कृषि जलवायु अंचलों में मध्यम से भारी वर्षा की संभावना है. ऐसे में किसानों को सुझाव दिया गया है कि वे खेतों में किसी भी प्रकार के रासायनिक कीटनाशी, शाकनाशी या उर्वरकों का छिड़काव न करें. खासकर जलभराव वाले क्षेत्रों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें ताकि फसलें सड़ने से बच सकें. धान के खेतों में जहां 5 से 10 से.मी. तक जलभराव हो, वहां टॉप ड्रेसिंग संभव न हो तो 2.5 फीसदी यूरिया घोल का पर्णीय छिड़काव करें.

धान और खरीफ फसलों की रक्षा के लिए विशेष उपाय

धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए निकाई-गुड़ाई करें और यदि संभव हो तो पैडी वीडर का उपयोग करें. शाकनाशी का उपयोग केवल कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर ही करें. खरीफ फसलों के लिए सुझाव है कि जलभराव को हर हाल में रोका जाए. वहीं जहां फसल डूबने की स्थिति बन रही हो, वहां भविष्य को ध्यान में रखते हुए अक्टूबर में बोई जाने वाली गन्ने की फसल को प्राथमिकता दी जाए ताकि अगले वर्ष की बाढ़ से पहले उसका विकास हो सके.

बागवानी में सजगता आवश्यक: रोग और जलभराव दोनों से सुरक्षा

फलों के बागों-जैसे आम, अमरूद, लीची, आंवला, कटहल आदि-में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें. नए बाग लगाने के लिए यह अनुकूल समय है, विशेषकर केले और नींबू के लिए. अमरूद की फसल में फल मक्खी से बचाव हेतु मिथाइल यूजिनाल ट्रैप (8-10 प्रति हेक्टेयर) टहनियों पर 6-8 फीट ऊंचाई पर लगाएं. साथ ही, नीम एक्सट्रैक्ट (5 प्रतिशत) का छिड़काव हर 10-15 दिन के अंतराल पर करें. ट्रैप को 20-25 दिन में बदलना न भूलें.

पशुपालन: बीमारियों से बचाव के लिए जरूरी उपाय

वर्तमान मौसम में पशुओं में खुरपका-मुंहपका (FMD) जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. पशुपालकों को सलाह दी गई है कि वे अपने नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क कर टीकाकरण अवश्य करवाएं. इसके अलावा बाह्य व आंतरिक परजीवी नियंत्रण के लिए भी डॉक्टर की सलाह से दवाओं का उपयोग करें.

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