कम पानी में भी फलती है ग्वार की फसल, 50 क्विंटल तक होती है पैदावार

ग्वार से प्रति एकड़ किसान औसतन 30 से 50 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. ग्वार की खेती के लिए 6 से 7.5 pH वाली हलकी दोमट, बलुई दोमट, रेतीली, हल्की चिकनी, काली और पीली मिट्टी सही होती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 9 Jun, 2025 | 02:01 PM

ग्वार (Cluster Bean) की खेती देश में बड़े पैमाने पर की जाती है. यह श्रीअनन फसलों में से एक प्रमुख फसल है जो कि कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है. खरीफ सीजन में इसकी बुवाई करने में किसानों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. बारिश के पानी से ही फसल अच्छा उत्पादन देती है. खरीफ सीजन के अलावा ग्वार की खेती रबी और जायद सीजन में भी होती है. खबर में आगे बात करेंगे कि क्या है ग्वार की खेती करने का सही तरीका और कैसे इसकी खेती से किसानों को फायदा होता है.

ऐसे करें खेत की तैयारी

ग्वार की खेती के लिए 6 से 7.5 pH वाली हलकी दोमट, बलुई दोमट, रेतीली, हल्की चिकनी, काली और पीली मिट्टी सही होती है. ग्वार की खेती के लिए 15 डिग्री से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. ग्वार की खेती से पहले 2 से 3 बार खेत की गहरी जुताई करें. इसके बाद मिट्टी में 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें. 25 किग्रा डीएपी, 50 किग्रा एसएसपी और 5 किग्रा कार्बोफ्यूरन प्रति एकड़ में मिलाकर खेत में डालें. इस पूरी प्रक्रिया के बाद खेत का पाटा लगाकर समतल कर लें.

बीज उपचार और बुवाई का तरीका

खेत में ग्वार के बीज की बुवाई से पहले बीजों को प्रति किग्रा की दर से 2 ग्राम बाविस्टिन से उपचार करें. इसके बाद प्रति किग्रा बीज में 2–3 ग्राम राइजोबियम कल्चर डालकर उपचार करें. बता दें कि प्रति एकड़ जमीन के लिए 5 से 7 किग्रा बीज की जरूरत होती है. बीज बुवाई के समय ध्यान रखें कि पंक्तियों में बीजों को 30 से 45 सेमी की दूरी पर बोएं और पंक्तियों के बीच की दूरी 10 से 15 सेमी रखें. मिट्टी में बीजों को 3 से 4 सेमी की गहराई में बोएं.

फसल की तुड़ाई और उत्पादन

ग्वार की फसल बुवाई के 40 से 50 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. पहली तुड़ाई के बाद 6 से 8 दिन के अंतरपर दूसरी तुड़ाई करें. बात करें ग्वार की फसल से उत्पादन की तो इसकी प्रति एकड़ फसल से किसान औसतन 30 से 50 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. ग्वार की फसल से किसानों को कई तरह से फायदा मिल सकता है क्योंकि इसकी फसल से हरी फलियां, बीज और चारा मिलता है.

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Published: 9 Jun, 2025 | 02:01 PM

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