किसान गेंदा की इन 5 किस्मों की खेती से कम समय में करें दोगुनी कमाई, जानिए आसान तरीका
गेंदा की पूसा बहार, दीप, अर्पिता, बसंती और ऑरेंज मैरीगोल्ड जैसी किस्मों की खेती से किसान कम समय में अच्छी कमाई कर सकते हैं. ये किस्में अधिक उत्पादन और बाजार में ऊंची मांग के कारण लाभदायक हैं.
आज के समय में किसान पारंपरिक खेती से हटकर फूलों की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. गेंदा एक ऐसा फूल है जिसकी मांग सालभर बनी रहती है- चाहे शादी-ब्याह हो, धार्मिक आयोजन या फिर सजावट. यही वजह है कि गेंदा की उन्नत किस्मों की खेती करके किसान कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ खास किस्में ऐसी हैं जिन्हें अपनाकर किसान अपनी आमदनी को दोगुना तक कर सकते हैं.
पूसा बहार – अफ्रीकी किस्म, अधिक उत्पादन
पूसा बहार गेंदा की अफ्रीकी प्रजाति है. इसके पौधे 75 से 85 सेंटीमीटर तक ऊंचे होते हैं और 95 से 100 दिन के अंदर फूल देने लगते हैं. इसके फूल पीले रंग के होते हैं और देखने में बहुत आकर्षक लगते हैं. यह किस्म जनवरी से मार्च के बीच अच्छी उपज देती है और बाजार में इसकी काफी मांग रहती है.
पूसा दीप- उत्तरी भारत के लिए खास
यह फ्रेंच गेंदा की एक उन्नत किस्म है, जो 85 से 95 दिन में फूल देना शुरू कर देती है. इसके पौधे मध्यम आकार के होते हैं और फूलों का रंग गहरा भूरा होता है. अक्टूबर और नवंबर के दौरान इसकी खेती से अच्छा लाभ मिल सकता है. उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए यह सबसे उपयुक्त किस्म मानी जाती है.
पूसा अर्पिता- हल्के नारंगी फूलों वाली किस्म
यह भी फ्रेंच गेंदा की प्रजाति है, जो खासकर दिसंबर से फरवरी के बीच फूल देती है. इसके फूल हल्के नारंगी रंग के होते हैं जो साज-सज्जा और धार्मिक आयोजनों में खूब उपयोग होते हैं. उत्तरी भारत के किसानों के लिए यह किस्म बेहद फायदेमंद साबित हो रही है.
पूसा बसंती- गमले और बगीचे दोनों के लिए बेहतर
पूसा बसंती गेंदा की एक बहुउपयोगी किस्म है. इसे खेत के साथ-साथ गमलों और बगीचों में भी आसानी से उगाया जा सकता है. यह बुवाई के 135 से 145 दिन बाद मध्यम आकार के पीले फूल देना शुरू करती है. इसका उपयोग सजावट और पूजा-पाठ में बड़े पैमाने पर होता है.
पूसा ऑरेंज मैरीगोल्ड- औषधीय गुणों से भरपूर
यह गेंदा की ऐसी उन्नत किस्म है जिसमें कैरोटीनॉयड नामक तत्व पाया जाता है. इसके गहरे नारंगी फूल 125 से 136 दिन में तैयार हो जाते हैं. यह खासतौर पर मुर्गियों के चारे, दवाइयों और न्यूट्रास्युटिकल उद्योगों में काम आती है. इस फूल को खाने से मुर्गियों के अंडों की गुणवत्ता और संख्या बढ़ती है.
सही समय और तरीका
- गर्मी के लिए पौध रोपाई जनवरी में
- बरसात के लिए अप्रैल- मई में
- सर्दी के लिए अगस्त- सितंबर में
- खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और धूप जरूरी होती है. एक एकड़ में लगभग 2.5 से 3 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है.