सोयाबीन एक व्यावसायिक फसल है जिसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है. इसकी खेती से पहले जरूरी है कि किसान सोयाबीन की सही किस्मों का चुनाव करें. सोयाबीन की कुछ ऐसी ही उन्नत किस्में हैं जिनकी खेती से किसान अच्छी पैदावार के साथ अच्छी कमाई भी कर सकते हैं. ऐसे में किसानों के लिए सोयाबीन की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. तो चलिए जानते हैं सोयाबीन की ऐसी ही तीन किस्मों के बारे में. जिनकी खेती से किसानों को अच्छी पैदावार मिल सकती है.
सोयाबीन की 3 उन्नत किस्में
जेएस 2034
सोयाबीन की यह किस्म अच्छी पैदावार देने वाली किस्म है. इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से करीब 20 से 25 क्विंटल तक पैदावार होती है. इसकी बुवाई के लिए प्रति एकड़ 30 से किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. इसके पौधों की ऊंचाई 75 से 80 सेमी होती है वहीं इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और इसकी फलियां फ्लैट होती हैं. यह किस्म येलो मोजेक रोग, चारकोल सड़न, पत्ती धब्बा कीटों के प्रतिरोधी है. बता दें कि जेएस 2034 की फसल बुवाई के 87 से 88 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं. इसकी खेती से किसानों की शुद्ध कमाई 80 हजार से 1 लाख तक हो सकती है.
जेएस 335
जेएस 335 सोयाबीन की एक ऐसी किस्म है जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया था. यह किस्म 95 से 100 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं. बात करें इसकी उपज की तो इसकी प्रति एकड़ फसल से लगभग 10 से 15 क्विंटल तक पैदावार होती है. इसके बीज 2.5 से 3 सेमी गहराई तक बोए जातें हैं. इसकी खेती से किसानों 70 से 80 हजार तक का फायदा हो सकता है. सोयाबीन की ये किस्म कई कीटों के प्रतिरोधी है.
एनआरसी 130
यह सोयाबीन की एक ऐसी किस्म है जो मध्य प्रदेश के किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. इस किस्म की फलियां चिकनी होती हैं. इस किस्म की खासियत है कि ये फसल को नष्ट करने वाले कई कीटों के प्रतिरोधी होती है. बता दें कि इस किस्म की प्रति हेक्टेयर फसल से लगभग 30 से 35 क्विंटल पैदावार होती है. प्रति हेक्टेयर एनआरसी 130 की फसल के लिए 65 से 75 किलो बीज की जरूरत होती है. इसकी खेती से किसानों को अच्छी कमाई होती है. इनके पौधों की लंबाई 67 सेमी होती है.